उत्तराखंड विधानसभा: चिकित्सकों की नियुक्ति, शिक्षा नीति और सहकारिता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा
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देहरादून, 20 फरवरी। उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई। इस दौरान चिकित्सकों की नियुक्ति, विद्यालयी शिक्षा और सहकारिता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। इस दाैरान सदन के नेता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।
गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भूमिधरी पर चर्चा की मांग की, जिस पर पीठ ने नियम 58 में सुनने का आश्वासन दिया। इसके बाद प्रश्नकाल शुरू हुआ।
धारचूला कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में चिकत्सकों व टेक्नीशियनों के कमी को दूर करने के लिए नियुक्त की जानकारी मांगी, जिस पर विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि 2,881 चिकत्सकों की भर्ती हुई है। 2,500 से अधिक चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। 276 लोग बैकलॉक से भरे जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में 1,182 स्थायी चिकत्सक काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर 1,896 चिकत्सक काम कर रहे हैं। राज्य में 50 प्रतिशत स्पेशल चिकित्सक की कमी है। दो साल में 400 से ज्यादा चिकित्सकों को पीजी करने भेजा है। इस साल करीब 40 पीजी डॉक्टर आने वाले हैं। तीन साल में स्पेशल चिकित्सकों की शत प्रतिशत भर्ती कर ली जाएगी। पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी में सबसे पहले स्पेशल चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी।
विभागीय मंत्री धन सिंह रावत ने कांग्रेस विधायक वीरेंद्र कुमार के स्कूलों में शुल्क-नीति के प्रश्न पर बताया कि राज्य में 17 हजार सरकारी और पांच हजार निजी स्कूल है। वर्तमान में निजी विद्यालयों में अधिक शुल्क (फीस) वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए नीति बनाये जाने सम्बन्धी प्रकरण पर कार्यवाही गतिमान है। राज्य की धारणा है कि यहां की स्कूली शिक्षा बहुत अच्छी है। इस पर मंथन किया गया था कि फीस निर्धारण करें, लेकिन तब देखा गया कि यहां देश और विदेश के कई नामी स्कूल हैं। केंद्र सरकार ने भी ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है। अगर सभी विधायक चाहें कि हमें कोई नीति बनानी चाहिए, तो उस पर विचार किया जाएगा। अभी निजी स्कूलों के लिए सरकार की फीस नीति लाने की कोई मंशा नहीं है।
विधायक विरेंद्र कुमार की ओर से सहकारी बैंकों और उनके नियंत्राधीन बैंकों में गलत तरीके से अपात्र लोगों को ऋण बांटने के प्रश्न पर कहा कि मानकों के अनुरूप ऋण वितरित किया जाता है। राज्य में 10,33,221 लोगों को बिना ब्याज ऋण दे चुके हैं।
विधायक विरेंद्र ने कहा कि पात्र किसानों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों को फसल संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ रहा है। जिस पर सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि गलत लोन बांटने वालों पर सरकार कार्रवाई कर रही है। एसआईटी जांच के भी आदेश दिए गए हैं।
विधायक खुशहाल सिंह अधिकारी ने राजकीय सामुदायिक केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का पश्न उठाया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सामुदायिक केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार बढ़ाई जा रही हैं। चिकित्सकों व मेडिकल स्टाफ की कमी को दूर किया जा रहा है। 80 हजार की जनसंख्या पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाते हैं। एक लाख की जनसंख्या पर उप जिला चिकित्सालय का निर्माण किया जाता है।
विधायक महेश जीना ने राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या पर शिक्षकों की तैनाती और राज्य के कितने स्कूलों में छात्र संख्या 20 से कम व 2 शिक्षक नियुक्त हैं। जिस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि कक्षा 01 से 5 तक 60 बच्चों पर 02 शिक्षक निर्धारित हैं।राज्य में 11375 राजकीय प्राथमिक विद्यालय संचालित है। 9357 विद्यालयों में मानकों के अनुरूप शिक्षक तैनात किए गए हैं। 2018 विद्यालयों में 01 शिक्षक औए राज्य में 5184 विद्यालय जहां 20 या 20 से कम छात्र संख्या पर 02 शिक्षकों की तैनाती है।
भाजपा विधायक दलीप रावत ने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए नीति बनाने की मांग की। मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। छात्रों को छात्रवृत्ति और टॉपर्स को सम्मानित किया जाता है, लेकिन संस्कृत के लिए अलग नीति बनाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
भाजपा विधायक प्रीतम पंवार ने शिक्षकों के मंडल परिवर्तन को लेकर सवाल किया। शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया कि बोर्ड परीक्षाओं के बाद शिक्षकों के मंडल परिवर्तन के तहत ट्रांसफर किए जाएंगे। अब तक 542 शिक्षकों ने इसके लिए आवेदन किया है।