राजिम कुंभ कल्प में नागा साधुओं ने निकाली पेशवाई: शरीर पर भभूत लगाकर बाबाओं ने लहराया अस्त्र शस्त्र

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धमतरी, 20 फ़रवरी। राजिम कुंभ कल्प मेला के दौरान तीर्थ क्षेत्र राजिम में उस वक्त दृष्य रोमांचित हो गया, जब नागा साधुओं ने पेशवाई निकाली। नागा संत शरीर पर भस्म लगा कर अपनी जटाओं को लहराते हुए बैंडबाजा, डमरू, नगाड़ा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर करतब दिखाते हुए शस्त्र प्रदर्शन किया। इस दौरान राजिम नगरवासी और मेला में आए श्रद्धालुओं की कतार नागा संतों के स्वागत में जुटी रही। लोग हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा संतों पर पुष्प वर्षा करते रहे।

बुधवार सुबह 12 बजे के बाद नागा संतों की टोली लोमष ऋषि आश्रम से राजिम दत्तात्रेय मंदिर के लिए रवाना हुई। दत्तात्रेय मंदिर में विविध धार्मिक अनुष्ठान के बाद संतों ने आराध्य देव को भोग लगाया और प्रसादी ग्रहण की। इसके बाद मंदिर परिसर में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन किया। यहां से नागा साधु संतों ने भगवान दत्तात्रेय को पालकी में विराजित कर पेशवाई प्रारंभ किया। पेशवाई दत्तात्रेय मंदिर से सुंदरलाल शर्मा चौक, व्हीआईपी मार्ग, राजीवलोचन-कुलेश्वर मार्ग होते हुए संत समागम स्थित अपने पंडाल में पहुंची, जहां विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर भगवान दत्तात्रेय को स्थापित किया गया।

पेशवाई के दौरान नागा साधु-संतों ने कई जगहों पर विभिन्न करतब दिखाते हुए शस्त्र प्रदर्शन किया। उक्त अखाड़ों को देखने और नागा-साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने सड़कों के किनारे श्रध्दालुओं की भीड़ भक्ति भाव व रोमांच के साथ उमड़ पड़ी। राजिम नगर सहित क्षेत्र के आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में दर्शनार्थी उपस्थित होकर इस पेशवाई यात्रा के साक्षी बनते हुए अपने श्रध्दा के फूल समर्पित कर स्वंय को धन्य समझा। पेशवाई यात्रा में विभिन्न अखाड़ों के नागा-साधु, सन्यासियां अपने पारंपरिक आलौकिक श्रृंगार के साथ अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे थे।

पेशवाई यात्रा में जूना अखाड़ा के अध्यक्ष महंत उमेशानंद गिरी, गोपाल गिरी महाराज, दिगम्बर संतोष गिरी महाराज, गोकुलगिरी महाराज, सिद्धेश्वरी पुरी महाराज, पद्मनीपुरी महाराज, कमलेश्वर नंद सरस्वती, गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल, मेला आयोजन समिति के सदस्य सचिव प्रतापचंद पारख सहित साधु संत शामिल हुए। वहीं राजिम थाना प्रभारी अमृत लाल साहू सहित पुलिस की टीम सुरक्षा व्यवस्था में लगी हुए थी, ताकि किसी प्रकार का कोई व्यवधान उत्पन्न न हो।


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