बंगाल के ठाकुरनगर में जनसभा करेंगे प्रधानमंत्री, क्या है चुनावी गणित
कोलकाता, 22 जनवरी (हि.स.)। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्य काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। इसकी वजह यह है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे 3 बड़े राज्य हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथ से निकल चुके हैं। उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन कर लिया है जो लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के लिए मुश्किल परिस्थिति उत्पन्न करने वाली बात है। पिछले साल इसी तरह से इन दोनों पार्टियों के गठबंधन ने गोरखपुर से भाजपा की परंपरागत सीट को भी छीन लिया था। इन तमाम परिणामों के बाद साफ हो चला है कि 2019 के आम चुनाव में भाजपा के लिए उत्तर भारत में 2014 के प्रदर्शन को दोहराना संभव नहीं है। इस लिहाज से उन सीटों की भरपाई भाजपा पूर्वोत्तर राज्यों से करना चाहती है। इसमें पश्चिम बंगाल सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां लोकसभा की 42 सीटें हैं। राज्य में चुनावी जनसभा के रूप में प्रधानमंत्री की पहली जनसभा आगामी 28 जनवरी को उत्तर 24 परगना के बनगांव में स्थित ठाकुरनगर में आयोजित की जा रही है जो मतुआ समुदाय के लोगों का गढ़ है। इसके पीछे भाजपा की एक बहुत बड़ी रणनीति है।
दरअसल राज्य भर में 30 लाख से अधिक मतुआ संप्रदाय के लोग रहते हैं। दिवंगत गुरुचंद ठाकुर और हीरा चंद ठाकुर ने इस समुदाय की स्थापना की थी और महारानी वीणापाणि देवी इस साल 100 वर्ष की हो चुकी हैै और इस समुदाय की मुखिया हैं। एक संगठित समूह की तरह समुदाय का एक महासंघ है जिसका नाम है मतुआ महासंघ और इसके संघााधिपति का निर्देश पर सारे लोग मानते हैं। नियमानुसार समुदाय का संघ अधिपति ठाकुर परिवार का कोई सदस्य ही बन सकता है। वर्तमान में इस समुदाय से ममता बाला ठाकुर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद है लेकिन शांतनु ठाकुुुर जो इसी परिवार के एक परिचित चेहरा हैं, वर्तमान में भाजपा के संपर्क में हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो यहां की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच यह समुदाय बटा हुआ है। बंगाल की 10 लोकसभा और 57 विधानसभा सीटों पर हार जीत का फैसला करने वाले मतुआ संप्रदाय को लुभाने के लिए पिछले साल नवंबर महीने में ममता बनर्जी ने यहां बड़ी जनसभा की थी और समुदाय के लिए अलग से विकास बोर्ड भी बनाया है और इनके जनक यानी हीराचंद ठाकुर और गुरुचंद ठाकुर के नाम पर विश्व विद्यालय की आधारशिला भी रख दी है। ममता की जनसभा से कुछ दिन पहले उत्तर 24 परगना के गोपालनगर में भाजपा ने मतुआ संप्रदाय को लुभाने के लिए एक बड़ी जनसभा की थी। इसमें भारी संख्या में संप्रदाय के लोग एकत्रित हुए थे। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी मतुआ बहुल इलाकों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इसे देखते हुए लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ये सारी घोषणाएं चुनावी चश्मे से ही देखी देखी जा रही हैं। इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी मतुआ संप्रदाय की महारानी बड़ी मां के पास गई थी एवं आशीर्वाद लिया था। हालांकि उसके सीधे 4 साल बाद 2018 के नवंबर महीने में गई। जब वह विपक्ष की नेत्री थी तो हर 2 या 3 महीने पर वीणापाणि देवी के पास आशीर्वाद लेने पहुंच जाती थीं। इसका बड़ा लाभ भी मिला और 2011 में पश्चिम बंगाल की उन तमाम विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की जहां संप्रदाय के लोगों की अधिकता है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि तृणमूल में एक दौर में मंत्री रहे ठाकुरबाड़ी के छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर ने 2015 में लोकसभा उप निर्वाचन से पहले भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस संप्रदाय के लोगों को लुभाने के लिए भाजपा भी बड़े पैमाने पर कोशिश कर रही है। इस बीच यहां पहुंचकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्वविद्यालय, समुदाय विकास बोर्ड और तमाम अन्य सुविधाओं की घोषणा कर यहां के लोगों को अपने पाले में मोड़ने की कोशिश की है। लेकिन सूत्रों का दावा है कि आज भी बड़ी संख्या में लोग भाजपा के समर्थन में खड़े हैं ऐसे में प्रधानमंत्री की यह पहली जनसभा होना निश्चित तौर पर प्रदेश भाजपा के लिए सकारात्मक परिणाम लाने वाला होगा।