कोलकाता, 06 नवम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में उन्होंने जो भी कदम उठाया है वह संविधान के दायरे में है।
दरअसल, एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों का वेतन सातवें वेतन आयोग के अनुसार देने की घोषणा की है। इसके लिए उन्होंने कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम में शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। उसी दौरान मुख्यमंत्री ने वेतन बढ़ोतरी की घोषणा की थी।
उसके पूर्व शिक्षकों ने इसी मांग पर आंदोलन करने की चेतावनी दी थी लेकिन राज्य सरकार खामोश थी। इस बीच राज्यपाल ने शिक्षकों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे और विवाद भी हो रहा था।
मंगलवार को जब मुख्यमंत्री ने वेतन बढ़ोतरी की घोषणा कर दी तो राज्यपाल के एक्शन की भी चर्चा जोरों पर है। इसी तरह की एक खबर को ट्विटर पर साझा करते हुए राज्यपाल ने सफाई दी है। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग करते हुए लिखा ‘पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में संविधान में वर्णित मेरे अधिकारों के दायरे में ही मैंने हर एक कार्रवाई की है और आगे भी करता रहूंगा’।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने जादवपुर विश्वविद्यालय के इस बार के दीक्षांत समारोह में दिए जाने वाले डॉक्टरेट की उपाधि में भी हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि बिना उनकी सहमति के किसी को भी कोई उपाधि नहीं दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के कोर्ट की बैठक भी की थी और खुद उन लोगों का नाम तय किया था जिन्हें उपाधि दी जानी थी।