उप्र वाणिज्य कर विभाग के कैडर पुनर्गठन की प्रक्रिया अटकी

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एक संवर्ग के अधिकारियों की कमेटी ने बदली आईआईएम की रिपोर्ट- आईआईएम की रिपोर्ट से सहमत विभाग के बाकी संघों में असंतोष



लखनऊ, 06 नवम्बर (हि.स.)। देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद 59 लाख रुपये खर्च करके उप्र. वाणिज्य कर विभाग के कैडर पुनर्गठन के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से बनवाई गई रिपोर्ट के अध्ययन के नाम पर केवल एक संवर्ग के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई, जिन्होंने अपने कैडर के हितों को ध्यान में रखते हुए आईआईएम की रिपोर्ट बदल डाली। आईआईएम की रिपोर्ट से सहमत विभाग के बाकी संघों में असंतोष है।
देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग के पुनर्गठन के प्रस्ताव का निर्माण करने के लिए शासन ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) को नामित किया था तथा इसके लिए आईआईएम को 59 लाख की राशि का भुगतान भी किया गया। इसके बाद आईआईएम ने विभाग के बारे में एक अध्ययन करके और सभी सेवा संघों से विमर्श करने के पश्चात एक सकारात्मक तथा विभाग के लिए एक रिपोर्ट बनाकर पेश की परन्तु वाणिज्य कर विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रभाव में आकर इस पूरी रिपोर्ट को समीक्षा के नाम पर बदलने की कोशिश की जा रही है। यह विभाग मुख्यमंत्री से जुड़ा हुआ है, फिर भी अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें संज्ञान में दिये बगैर रिपोर्ट बदलने का षडयंत्र किया जा रहा है।
उप्र. वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि आईआईएम ने अपने शोध, तथ्यपरक तथा कई समीक्षा के बाद रिपोर्ट तैयार की थी। इसे प्रस्ताव के रूप में शासन को भेजने के बजाय विभाग से जुड़े कुछ अधिकारियों ने दूसरे प्रस्ताव गोपनीय तरीक़े से शासन को भेज दिए। अब वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से उन गलत प्रस्तावों को लागू कराने के लिए नाजायज दबाव बनाया जा रहा है। श्री वर्मा ने बताया कि विभाग में केवल मान्यता प्राप्त वरिष्ठ अधिकारियों के संघ को छोड़ कर सभी गुप-चुप तरीके से आईआईएम की रिपोर्ट के विरोध में हैं तथा अपने-अपने तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं। अधिकांश संघों ने आईआईएम की रिपोर्ट पर असहमति जताई है।
उ.प्र. वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ तथा उ.प्र. वाणिज्य कर अधिकारी संघ से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि हम लोग आईआईएम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को लागू कराने के पक्ष में है। इसके लिए कई बार कमिश्नर वाणिज्य कर, अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर तथा मुख्य मन्त्री कार्यालय में ज्ञापन दिए जा चुके हैं। इस मामले के सम्बन्ध में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का निरन्तर प्रयास किया जा रहा है लेकिन कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से अभी तक समय नहीं मिल पाया है। इस मुद्दे पर बुधवार से सकारात्मक अभियान भी चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर उक्त रिपोर्ट नहीं लागू की गई तो आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। दोनों संघों की मांग है कि आईआईएम की संस्तुतियों के आधार पर ही विभाग में कैडर पुनर्गठन किया जाए।
यह है आईआईएम की रिपोर्ट
आईआईएम ने अपनी रिपोर्ट में विभाग को सलाह दी है कि सीटीओ के पद पर होने वाली सीधी भर्ती को रोककर असिस्टेंट कमिश्नर ‘ग्रेड पे 5400’ के पद पर भर्ती की जाय तथा वर्तमान सीटीओ (प्रत्यक्ष भर्ती) को नियम के अनुसार सहायक आयुक्त में विलय कर दिया जाय। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो वाणिज्य कर अधिकारी के पद तीन वर्ष की सेवा दे चुके हैं उन्हें कार्यात्मक अनुभव के आधार पर एक वर्ष की वरिष्ठता प्रदान की जाय।

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