भारत को छोड़ 15 देशों ने आरसीईपी समझौते पर जताई सहमति, अगले वर्ष होंगे हस्ताक्षर

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आरसीईपी की तीसरी शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वर्तमान समझौता देश के लोगों के हित में नहीं है, इसलिए भारत उसे स्वीकार नहीं कर सकता।



बैंकॉक/नई दिल्ली, 04 नवम्बर (हि.स.)। भारत के इनकार के बावजूद आसियान सहित 15 देशों ने दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (आरसीईपी) को अंतिम रूप दे दिया तथा अगले वर्ष सन 2020 में समझौते पर विधिवत हस्ताक्षकर करने की घोषणा की।

आरसीईपी की तीसरी शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वर्तमान समझौता देश के लोगों के हित में नहीं है, इसलिए भारत उसे स्वीकार नहीं कर सकता। 10 सदस्यीय आसियान (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड) वियतनाम देशों चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया ने समझौते के दस्तावेज को अंतिम रूप दिया। इसे कानूनी रूप से समुचित स्वरूप देने के बाद अगले वर्ष इसपर हस्ताक्षर होंगे।

आरसीईपी दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक समूह बन जाएगा, जिसके सदस्य देशों का कुल घरेलू उत्पाद दुनिया का 40 प्रतिशत है। आरसीईपी वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में सदस्य देशों ने समझौते के बारे में भारत की चिंताओं का संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि सदस्य देश इस बात की कोशिश करेंगे की भारत की चिंताओं का समाधान हो सके। उन्होंने यह भी आशा जताई की आपत्तियों का समाधान होने पर भारत भविष्य में इस समझौते के साथ जुड़ेगा।

 


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