अयोध्या प्रकरण: मुस्लिमों से संवाद कर शांति का माहौल बनाने में जुटा संघ
लखनऊ, 03 नवम्बर (हि.स.)। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले को लेकर एक ओर प्रदेश सरकार जहां कानून व्यवस्था को लेकर सतर्कता बरत रही है और सभी जनपदों में पुलिस अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए गए हैं। वहीं सामाजिक स्तर पर भी दोनों पक्षों के बीच माहौल शांतिपूर्ण बनाये रखने की भी कोशिशें की जा रही हैं।
केन्द्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार के कारण सजग है संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसको लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को विशेष रूप से जिम्मेदारी सौंपी है, जिसके बाद बड़े मुस्लिम चेहरों से संवाद स्थापित करके अमन और शांति का माहौल कायम करने की पहल की जा रही है। दरअसल केन्द्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार होने के कारण संघ इस बात को अच्छी तरह समझता है कि असामाजिक तत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा अधिकांश राज्यों में भी भाजपा सरकारें हैं। इसलिए जनभावनाओं को भड़काकर कानून व्यवस्था बिगड़ने पर केन्द्र और प्रदेश सरकारों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए सरकार से अलग वह अपने विभिन्न संगठनों के जरिए भाईचारा बनाये रखने की कोशिशों में जुटा है। सूत्रों के मुताबिक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के मद्देनजर अपने विभिन्न कार्यक्रम भी निरस्त कर दिए हैं और सभी को अपने-अपने क्षेत्रों में रहने को कहा गया है, जिससे वह बेहतर तरीके से जनसंवाद स्थापित कर सकें। इसके अलावा विभिन्न संगठनों को जिम्मेदारी भी सौंपी है।
तीन प्रकार के फैसले की सम्भावना पर मुसलमानों से अपील
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रजा रिजवी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि इस संवेदनशील मामले में तीन तरह की स्थिति बनने की संभावना है। फैसला हिंदुओं के पक्ष में आ सकता है या मुसलमानों के हक में हो सकता है। या फिर दोनों के ही पक्ष में न जाकर सुप्रीम कोर्ट सरकार को निर्देश दे सकता है। हमारी अपील की है कि कि फैसला यदि हिंदुओं के पक्ष में आए तो दूसरा पक्ष इसे खुशी के साथ स्वीकार करें, क्योंकि श्रीराम उनके भी नबी हैं, लेकिन यदि मुसलमानों के हक में फैसला होता है तो भी वह भगवान राम का जन्म अयोध्या में होने के कारण इसे उन्हें सौंप दें और मंदिर बनवाने में हिंदुओं की सहायता करें। राम मंदिर के कारण पूरी दुनिया में अयोध्या की पहचान है। मस्जिद कहीं और बनायी जा सकती है। इसके अलावा अगर सुप्रीम कोट सरकार को इस सम्बन्ध में उचित निर्णय का आदेश देती है तो भी मुस्लिम पक्ष आगे आए और मंदिर बनाने पर अपनी सहमति दे। इससे पूरे देश में सौहार्द कायम होगा और दुनिया में हमारी एकता का संदेश जाएगा। विकास की गति और तेज होगी।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पांच स्थानों पर करेगा कार्यक्रम
इसके साथ ही मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने राजधानी लखनऊ सहित पांच स्थानों पर हुब्बल वतनी पैगामे अमन कांफ्रेंस आयोजित करने का निर्णय किया है। प्रदेश संयोजिका डॉ. शबाना आजमी के मुताबिक लखनऊ में 8 नवम्बर को छोटे इमामबाड़े में सम्मेलन होगा। इसके अलावा वाराणसी, मेरठ, बरेली और आगरा में इन सम्मेलनों को आयोजित किया जाएगा। ये सम्मेलन एक सप्ताह के अन्दर किए जाएंगे। इसमें मुस्लिम समुदाय से सुप्रीम कोर्ट के फैसल के बाद शांति बनाए रखने की अपील की जाएगी। इन सम्मेलनों में प्रसिद्ध मुस्ल्मि बुद्धिजीवी, विद्वान आदि के जरिए मुसलमानों से संवाद कायम किया जाएगा।
बहकावे में न आने की अपील
डॉ. आजमी ने बताया कि मंच से जुड़े लोगों ने रविवार से घर-घर जाकर मुसलमानों से मुलाकात भी शुरू कर दी है। इसमें उनसे गुजारिश की जा रही कि इस मुद्दे पर वह किसी के भड़काने में न आएं और पहले की तरह हिंदुओं के साथ मिल-जुलकर रहें।
संघ के संगठन कर रहे सम्पर्क, सोशल मीडिया से दूरी बनाने के निर्देश
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की टीमें बौद्ध, सिख और इसाई पंथपथावलंबियों के बीच भी सम्पर्क कर रही हैं। इसके साथ ही संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है। इसमें प्रबुद्ध लोगों के साथ बैठकें कर उन्हें वास्तुस्थिति से अवगत कराया जा रहा है। संघ ने अपने समवैचारिक संगठनों को अलग-अलग तरह की जिम्मेदारी सौंपी है। विश्व हिंदू परिषद संत समाज के लगातार सम्पर्क में है और उनसे चर्चा कर रहा है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को युवाओं के बीच जाकर अपनी बात रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए वह संघ के निर्देशों के तहत युवाओं को समझाने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा भी इस तरह के अभियान में जुट गया है। पार्टी के प्रमुख मुस्लिम चेहरों को भी इस काम में लगाया गया है, जिससे दोनों धर्मों के बीच अमन-चैन की स्थिति बनी रही। खास बात है कि इस बात के स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सोशल मीडिया पर अयोध्या मामले को लेकर किसी भी प्रकार की टीका-टिप्पणी नहीं की जाए। सोशल मीडिया में इस सम्बन्ध में पूरी दूरी बनायी रखी जाए।
मुस्लिम पक्ष की ओर से भी माहौल शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास
दूसरी ओर राजधानी में शीर्ष मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारी, मौलाना और विद्वान भी सुप्रीम कोर्ट के संभावित निर्णय पर चर्चा कर चुके हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हमीद के संयोजन में आयोजित इस बैठक में जमायत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सदातुल्ला हुसैनी और सांसद डॉ. जावेद और इमरान हसन आदि ने शिरकत की। बैठक में आम सहमति बनी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रभाव और परिणामों को देश की समग्र प्रगति और विकास के संदर्भ में सकारात्मक रूप से लिया जाए।
इससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली भी अपील कर चुके हैं कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए हम उसका एहतराम करें और इस सिलसिले में ना कोई जश्न मनाएं और न उसमें कोई एहतेजाज करें। ना नारेबाजी करें और ना कोई ऐसी बात कहें जो किसी भी कौम के लिए या किसी भी कौम की धार्मिक भावनाओं या किसी भी कौम के मजहबी जज्बात को मजरूह करने वाला हो।
योगी ने मंत्रियों को विवादित बयान से दूर रहने की दी हिदायत
सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने मंत्रियों से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कोई भी विवादित बयान नहीं देने को कह चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर सभी से अनावश्यक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है। वह दीपोत्सव के दौरान भी संतो से विवादित बयानों से दूर रहने की अपील कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी बयान दिया है कि संवेदनशील मुद्दों पर कोई जश्न नहीं मनाना चाहिए। फैसला किसी एक पक्ष के हक में हो सकता है लेकिन ऐसा कोई जश्न नहीं होना चाहिए जिससे दूसरा पक्ष आहत हो। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों से सौहार्द बनाए रखने की अपील की।