चंडीगढ़, 03 नवम्बर (हि.स.) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार की शुरू की गई मुहिम के अंतर्गत पंजाब में एक नवंबर तक पराली जलाने के सामने आए 20,729 मामलों में अब तक 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है। वर्ष 2018 के मुकाबले इस वर्ष ऐसे मामलों में 10-20 प्रतिशत तक की कमी आने की आशा है।पिछले वर्ष पराली जलाने के 49,000 मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष राज्य सरकार को अब तक प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक 20,729 मामले सामने आए हैं और 70 प्रतिशत धान की फ़सल काटी जा चुकी है।
रविवार को जारी बयान में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट की तरफ से किसानों को बीते वर्ष किये जुर्मानों की वसूली करने पर लगाई रोक के बावजूद राज्य सरकार ने पराली को आग लगाने के ख़तरनाक रुझान के विरुद्ध ज़ोरदार मुहिम चलाई हुई है। कैप्टन ने उम्मीद ज़ाहिर करते हुए कहा कि उनकी तरफ से दिल्ली में वायु प्रदूषण से पैदा हुई अति गंभीर स्थिति बारे लिखे पत्र को प्रधानमंत्री विचार करेंगे और सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या से भली भांति परिचित है और पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए वचनबद्धता के साथ काम कर रही है। इस मुहिम के अंतर्गत गठित की गई टीमों ने एक नवंबर तक पराली को आग लगाने के 11286 घटनास्थलों का दौरा किया है और 1585 मामलों में वातावरण को प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 41.62 लाख रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया है, 1136 मामलों में खसरा गिरदावरी में रेड एंट्री की और कानून का उल्लंघन करने वाले 202 मामलों में एफ.आई.आर. /कानूनी कार्यवाही अमल में लाई गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने की बाकी घटनाओं की तस्दीक करने और वातावरण प्रदूषित करने का मुआवज़ा वसूलने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बिना सुपर एस.एम.एस. के चलने वाली 31 कम्बाईनों को वातावरण प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 62 लाख रुपए जुर्माना किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हालत में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवज़ा देना ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता बल्कि यह हमारे लोगों के भविष्य का सवाल है जिससे राजनीति बहुत परे है।