आरएसएस का तीन दिवसीय सम्मेलन 17 सितम्बर से दिल्ली में, संघ प्रमुख देंगे के सवालों के जवाब

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नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी खिड़कियां खोल रहा है ताकि आप संघ की ताजा खुशबू को महसूस कर सकें। संघ प्रमुख मोहन भागवत 17 से 19 सितम्बर तक दिल्ली के विज्ञान भवन में विभिन्न विषयों पर संघ की राय को स्पष्ट करेंगे। खासतौर से वे हिंदू, हिन्दुत्व से लेकर राष्ट्र की अवधारणा तक बने भ्रम और आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करेंगे। ‘भविष्य का भारत-आरएसएस की दृष्टि’ विषय पर होने वाले इस कार्यक्रम में भविष्य के भारत की परिकल्पना और संघ की सोच पर संवाद होगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले दो दिन 17 और 18 सितम्बर की शाम अपने संबोधन में अलग-अलग विषयों पर संघ की राय रखेंगे और 19 सितम्बर को वे कार्यक्रम में शामिल लोगों के सवालों के जवाब भी देंगे, ताकि समाज में इस बात का भरोसा पैदा हो सके कि संघ में किसी भी विषय को लेकर कोई अस्पष्टता या भ्रम नहीं है।

1925 में नागपुर में शुरू हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने विभिन्न सहयोगी संगठनों के माध्यम से डेढ़ लाख से ज्यादा सेवा प्रकल्प चला रहा है और इसके 40 से ज्यादा संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य, धर्म, किसान, मजदूर, महिलाओं और विद्यार्थियों के लिए काम कर रहे हैं। देशभर में 50 हजार से ज्यादा शाखाओं में रोजाना राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया जाता है।

संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र कुमार ने बताया कि तीन दिन के इस कार्यक्रम में रोजाना करीब एक हजार विशेष अतिथि शामिल होंगे। ये अतिथि सामाजिक, राजनीतिक, कानून, धर्म, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में विशेष प्रदर्शन करनेवाली हस्तियां भी हैं। इस कार्यक्रम के आयोजन का मकसद समाज के सभी क्षेत्रों के लोगों को संघ की विचारधारा से रू-ब-रू कराना है। कार्यक्रम में अलग-अलग धर्मों के धर्मगुरु और विद्वानों को इसलिए शामिल किया गया है ताकि संघ को लेकर बने तमाम भ्रम दूर किए जा सकें।

संघ का मानना है कि प्रबुद्ध वर्ग राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर संघ का दृष्टिकोण जानने को उत्सुक है, इसलिए समसामयिक विषयों पर इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख अपने विचार सबके सामने रखेंगे। पिछले दिनों आरएसएस ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी नागपुर में संघ मुख्यालय पर संबोधन के लिए आमंत्रित किया था।


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