ओबीसी आरक्षण में राज्यों को अधिकार देने वाला संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित

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नई दिल्ली, 10 अगस्त (हि.स.)। लोकसभा में मंगलवार को 127वां संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया, जिसका मकसद ओबीसी आरक्षण में राज्यों को अधिकार देना है। इससे राज्यों को अपने यहां पिछड़े वर्ग की पहचान करना और स्वयं की सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा।

मंगलवार को विधेयक पर चर्चा और पारित करने के बाबत पेश करते समय मंत्री ने कहा कि विधेयक एतिहासिक है और इससे देश की 671 जातियों को सीधा लाभ मिलेगा। इससे राज्यों को अपनी ओबीसी सूची तैयार करने की शक्ति दोबारा मिलेगी, जिससे सामाजित और आर्थिक न्याय संभव हो पाएगा।

अपने वक्तव्य में विधेयक के उद्देश्य और कारणों का जिक्र करते हुए विरेन्द्र कुमार ने कहा कि इससे राज्य और केन्द्र अपनी सामाजिक एवं शैक्षिण तौर पर पिछड़े वर्गों की सूची तैयार कर सकेंगी। वहीं देश का संघीय ढांचा मजबूत बनाए रखने के लिए संविधान के अनुच्छेद 342ए में संशोधन की जरूरत है, जिससे आगे संविधान के अनुच्छेद 338बी और 366 में संशोधन करना होगा।

विधेयक ऐसे समय में पारित हुआ, जब विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा। वहीं विपक्ष ने सरकार के इस विधेयक का समर्थन किया। इस बार के मानसून सत्र में यह पहला मौका रहा जब लोकसभा में व्यवस्थित ढंग से चर्चा हो पाई।

विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के कई नेताओं ने आरक्षण से जुड़ी 50 प्रतिशत की सीमा का हटाए जाने की मांग की। इस दौरान कुछ सांसदों ने देश में जाति आधारित जनगणना कराए जाने की भी मांग की।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पांच मई के फैसले में कहा था कि सरकार की ओर से 2018 में किए गए 102वें संविधान संशोधन से राज्यों के सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों की पहचान करने और उन्हें दाखिलों एवं नौकरियों में आरक्षण देने का अधिकार छीन लेता है।

विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 2018 में विपक्ष की मांग सुनी गई होती तो सरकार को इस विधेयक को लाने की जरूरत नहीं पड़ती।


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