बदलेंगे सियासी समीकरण, बढ़ाई सियासी सनसनी जितिन ने

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सीतापुर, 09 जून (हि.स.)। तीन पीढ़ी से जुड़े दिग्गज कांग्रेसी व ब्राह्मण वोट बैंक का एक प्रमुख चेहरा रहे जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद सीतापुर, शाहजहांपुर, धौरहरा-लखीमपुर में सियासी समीकरण बदल सकते हैं। यूपी में 2022 का चुनाव जीतने की तैयारियों में तेजी से जुटी भाजपा के लिए जितिन प्रसाद का आना सुखद संदेश हो सकता है।
उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में ब्राह्मण नेता के तौर पर होती रही हैं। उनका भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। महज 27 वर्ष की उम्र में पिता जितेन्द्र प्रसाद के निधन व माता कांता प्रसाद के चुनाव हार जाने के बाद शाहजहांपुर से अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने वाले जितिन 2004 का लोकसभा चुनाव जीतकर सोनिया गांधी व राहुल गांधी के निकट आ गए थे। 2009 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट आरक्षित हो जाने के बाद श्री प्रसाद ने 15वीं लोकसभा का चुनाव 2009 में नवसृजित धौरहरा सीट पर किस्मत आजमाई, जिसमें लगभग एक लाख पचहत्तर हजार मतों से विजय प्राप्त की थी। उसके बाद 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में जितिन प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि प्रसाद ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत कांग्रेस के बैनर से आजमाई थी परंतु उसमें भी वह नाकामयाब साबित हुए थे।
योगी के जन्मदिन पर ट्वीट से बढ़ गई थी भाजपा में जाने की अटकलें!
यूं तो कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद के भाजपा से जुड़ने की चर्चा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी चली थी, बताते हैं कि उस समय वे बीजेपी के एक बड़े नेता के संबंधों के आधार पर भाजपा में शामिल होने के लिए जा रहे थे परंतु उसी समय प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए थे। उसके बाद कांग्रेस ने उन्हें आसाम का बंगाल राज्य का प्रभारी बनाकर उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को जोड़ने की जिम्मेदारी सौपीं थी, परंतु श्री प्रसाद पिछले 2 वर्षों से कांग्रेस में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। जितिन प्रसाद ने 5 जून 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर ट्वीट से सियासी हलचल बढ़ा दी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर ट्वीट कर शुभकामनाएं व बधाई प्रेषित की थी तभी से यह माना जा रहा था कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
संचालित कर रहे थे ‘ब्राह्मण चेतना परिषद’
कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से आहत होकर जितिन प्रसाद 2020 में कोविड कॉल के दौरान ब्राह्मण चेतना परिषद बनाकर ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के अभियान में जुटे थे, उनके नजदीकी बताते हैं कि 2020 में कोरोना आपदा के दौरान जितिन ने बृहद स्तर पर वर्चुअल मीटिंग से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ब्राह्मणों को जोड़ने का काम शुरू किया था। इसके माध्यम से वे लोगों की नब्ज भी टटोलने में जुटे थे। प्रदेश के कई जिलों में वे ‘ब्राह्मण चेतना परिषद’ की इकाई का गठन कर निरन्तर सम्पर्क व संवाद कायम किये हुए थे।
2019 से कांग्रेस नेतृत्व के निशाने पर आए जितिन प्रसाद
यूं तो जितिन प्रसाद के पिता स्वर्गीय जितेंद्र प्रसाद का इतिहास भी कांग्रेस नेतृत्व से टकराने का रहा है। स्वर्गीय जितेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस में रहकर सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़कर वंशवाद के खिलाफ बिगुल बजाया था। नवंबर 2000 में स्वर्गीय जितेंद्र प्रसाद सोनिया गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जितिन प्रसाद के साथ कांग्रेस से जुड़े एक नेता ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि 2019 में प्रियंका गांधी उन्हें लखनऊ लोकसभा सीट पर राजनाथ सिंह के विरूद्ध चुनाव लड़ाना चाहती थी परन्तु श्री प्रसाद ने अपने राजनैतिक सबन्धों का हवाला देकर प्रियंका गांधी की बात को अनसुना कर दिया था। तभी से वे कांग्रेस नेतृत्व के निशाने पर थे।
इन विभागों के रहे मंत्री
जितिन प्रसाद ने 2008 में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री के अलावा बाद में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय संभाल कर यूपीए सरकार में ही पेट्रोलियम, प्राकतिक गैस के साथ मानव संसाधन विकास मंत्री की जिम्मेदारी निभाई।
बदलेंगे सियासी समीकरण
भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अब यह माना जा रहा है कि पश्चिम के कुछ जिलों के अलावा अवध क्षेत्र में भी जितिन प्रसाद के दबदबे के कारण सियासी समीकरण बदल सकते हैं। जितिन प्रसाद जिस धौरहरा सीट पर चुनाव लड़कर केंद्र में मंत्री बने थे, उसी सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार रहीं रेखा वर्मा ने उन्हें बहुत बुरी तरीके से पटकनी दी थीं। धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा का भी कद भाजपा में बड़ा है वे वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। जितिन के समर्थकों का मानना है कि 2022 में वे महोली विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। फिलहाल क्या होगा ये तो 22 के चुनावों में ही पता चलेगा, परन्तु इतना जरूर है कि भाजपा में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने सियासी सनसनी जरूर फैला दी है।

 


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