ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते टूट रहे ग्लेशियर :आईआईटी कानपुर

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वैज्ञानिकों ने पहाड़ों पर नदी किनारे गांव न बसाएं जाने की दी चेतावनी



कानपुर, 08 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना भविष्य के लिए बड़ी चेतावनी है। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी ग्लेशियर टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसे रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि गंगा नदी के किनारे गांव न बसाएं जाएं।
आईआईटी कानपुर में पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इन्द्रशेखर सेन ने कहा कि आमतौर पर ग्लेशियर तब टूटते हैं जब बादल फटता है। उन्होंने कि चमोली के पास जिस तरह से ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई है वह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अभी इतनी बारिश नहीं हुई थी कि ग्लेशियर टूटता। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि हिमस्खलन की वजह से ग्लेशियर टूटा है।
उन्होंने कहा कि, अभी तक देश में ग्लेशियर टूटने की 35 बड़ी घटनाएं हुई हैं। 2013 में केदारनाथ की त्रासदी बादल फटने की घटना के बाद हुई थी। जबकि चमोली में इतनी बारिश नहीं ही हुई कि वहां पर ग्लेशियर टूटने की वजह बनता। इसलिए हिमस्खलन से होने वाले नुकसानों से बचने के लिए नदी के किनारे गांव नहीं बसाएं जाएं, यहीं मौजूदा समय में सबसे बड़ी जरुरत है।

 


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