महाकुम्भ स्नान आध्यात्मिक उन्नति का दुर्लभ अवसर : सतीश राय
महाकुम्भ नगर, 03 फरवरी। तीर्थराज प्रयाग के महाकुम्भ में यह अमृत स्नान आध्यात्मिक उन्नति का दुर्लभ अवसर है। जिन लोगों ने हिस्सा नहीं लिया तो यह अवसर उनके पूरे जीवन में दोबारा नहीं आएगा, क्योंकि 12 पूर्ण कुम्भ करने के पश्चात ही महाकुम्भ आता है।
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान के कुम्भ सेक्टर 10 में आयोजित कार्यक्रम में जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने बसंत पंचमी के अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग किसी कारण बस महाकुम्भ में स्नान नहीं कर पाते हैं तो वह इस महाकुम्भ से गंगा-यमुना या संगम का जल लाकर अपने स्नान पात्र के सामान्य जल में मिलाकर परिवार सहित अपने आराध्य इष्टदेव देव से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हुए शुभ मुहूर्त में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से भी महाकुम्भ का पूर्ण फल प्राप्त होगा।
महाकुम्भ में स्नान से मन के मैल का होता है प्रक्षालन
उन्होंने कहा जैसे सामान्य स्नान, शरीर के मैल को साफ करता है वैसे ही महाकुम्भ के स्नान से मन के मैल का प्रक्षालन होता है। महाकुम्भ का स्नान शुभ ग्रह नक्षत्र व दुर्लभ मुहूर्त के साथ आता है, यही कारण है कि इस स्नान से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं, आत्म शुद्धि-मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुम्भ स्नान से अनजाने में हुए पापों से मिलती है मुक्ति
सतीश राय ने कहा कि कभी-कभी परिस्थितिवश भूल से पाप कर बैठे हैं, ऐसे अनजाने में हुए पाप, कुम्भ स्नान से धुल जाएंगे। कुम्भ का सम्बंध पुण्य कर्मों से भी है। जीवन में किए गए कर्मफल, पाप और पुण्य में बटे हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि मनुष्य द्वारा किए पुण्य से पाप के प्रभाव को कम किया जा सकता है। कुम्भ स्नान से पाप का प्रायश्चित भी होता है। कुम्भ के समय प्रयाग में एक सिक्का दान करना हजार सिक्कों के दान के बराबर होता है।