टी-90 भीष्म टैंक सेना की झांकी में राजपथ पर दौड़ेगा

0

ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और अन्य स्वदेशी हथियार होंगे झांकी का हिस्सा   ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ पर मुख्य फोकस बांग्लादेश के मार्चिंग दस्ते पर 



नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। गणतंत्र दिवस की परेड में इस साल की झांकी में भारतीय सेना ने उन टी-90 भीष्म टैंक को शामिल किया है जो पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बाद एलएसी पर तैनात किये गए हैं। इसके अलावा ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और अन्य स्वदेशी हथियार राजपथ पर दिखाए जाएंगे जिनकी बदौलत सेना पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर मोर्चा संभाले है। पकिस्तान से 71 के युद्ध में मिली जीत के ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ पर मुख्य फोकस बांग्लादेश के मार्चिंग दस्ते पर है जो 122 सदस्यों के साथ भारत आया है।
परेड में हिस्सा लेने के लिए भारत आये बांग्लादेश एयर फ़ोर्स के फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिबात और नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर इशहाक ने कहा कि पहली बार हमारी बांग्लादेश की टुकड़ी अपने ध्वज के साथ भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने आई है। बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल शाहनूर परेड कमांडर होंगे जबकि कर्नल मोहत्शीम मार्चिंग दस्ते के कमांडर हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की मार्चिंग टुकड़ी दो हिस्सों में होगी जिसमें कुल 122 सैनिक शामिल होंगे। बांग्लादेशी सैनिक मार्च के दौरान अपने साथ बीडी-08 राइफल्स और चीनी टाइप 817.62 एमएम के हथियार का लाइसेंस-निर्मित वैरिएंट लिए होंगे। बांग्लादेश बैंड दल के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल बेनजीर ने दोनों देशों की रणनीतिक दोस्ती के 50 वर्षों पर गर्व करते हुए कहा कि हमने साथ में संघर्ष किया, साथ में मार्च करेंगे।
भारतीय सेना की झांकी में पूर्वी लद्दाख में चीन से मुकाबले के लिए तैनात टी-90 भीष्म टैंक राजपथ पर दौड़ेगा। इसके अलावा बैलेस्टिक मिसाइल ब्रह्मोस, पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम, बीएमपी-2 टैंक, ब्रिज लेयर टैंक, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर इक्विपमेंट सिस्टम और एयर डिफेंस सिस्टम गणतंत्र दिवस परेड में सेना की झांकी का हिस्सा होगा। टी-90 भीष्म टैंक के कमांडर कैप्टन करनबीर सिंह ने बताया कि यह टैंक थर्ड जनरेशन का रशियन टैंक है, जिसे हम भीष्म कहते हैं। इसमें 125 एमएम की गन है जो पांच तरह के एम्युनिशन (गोले) फायर कर सकती हैं। यह आर्मी का अकेला ऐसा टैंक है जो गाइडेड मिसाइल भी फायर कर सकता है। टी-90 युद्धक टैंक को पूर्वी लद्दाख में पैन्गोंग झील के दक्षिण किनारे में तैनात किया गया है जहां भारतीय सेना अहम चोटियों पर मौजूद है। यह पहला मौका है जब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर टी-90 टैंक की तैनाती की गई है।
कैप्टन करनबीर ने कहा कि टी-90 टैंक राजस्थान से लेकर गलवान घाटी तक के हर भौगोलिक स्थिति में प्रभावी है। उन्होंने कहा यह हर भौगोलिक स्थिति में खुद को साबित करने की क्षमता रखता है। यह 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन पर दौड़ सकता है तो यह पानी के अंदर पांच मीटर की गहराई तक जा सकता है। यह 5 किलोमीटर दूर तक किसी भी टारगेट को लॉक कर उसे नष्ट करने की क्षमता रखता है। इसमें 7.62 एमएम की गन भी है जो पैदल सेना के टारगेट जैसे जिप्सी या ट्रक को निशाना बना सकती है, उसके लिए मुख्य गन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। हवाई टारगेट जैसे ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर, अटैक हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन को भेदने के लिए इसमें 12.7 एमएम की गन लगी है।
सेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भी इस बार गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्सा बनाया है। कैप्टन क़मरुल ज़मान बिहार (सीतामढ़ी) के एकमात्र भारतीय सेना अधिकारी हैं, जो ब्रह्मोस के कंटिंजेंट कमांडर हैं। इस मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है।
भारतीय सेना के मेजर जनरल आलोक कक्कड़ ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण इस साल कुछ बदलाव किये गए हैं, इसलिए गणतंत्र दिवस की परेड लाल किले के बजाय नेशनल स्टेडियम में समाप्त होगी। गणतंत्र दिवस की परेड इस बार छोटी होगी और दर्शकों की सामान्य संख्या का केवल एक चौथाई हिस्सा शामिल होगा। इस बार सिर्फ 25 हजार पास ही जारी किए जा रहे हैं। परेड में शामिल होने वाले सभी सैनिक दस्ते, पुलिस अर्ध सैनिक बल के जवान मास्क लगाये दिखेंगे। प्रतिभागी के रूप में बच्चों को परेड में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है और दर्शक के रूप में 15 साल से ज्यादा आयु के सौ छात्र और अन्य नागरिक शामिल हो सकेंगे। सोशल डिस्टेन्सिंग की वजह से मार्चिंग दस्ते की बनावट इस बार आयताकार की जगह त्रिकोणीय होगी। एक दस्ते में 144 सैनिकों की बजाय सिर्फ 96 सैनिक शामिल होंगे। आम तौर पर एक दस्ते में 12 पंक्तियां और 12 कॉलम होते थे लेकिन इस बार 12 कॉलम में सिर्फ आठ पंक्तियां होंगी।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *