नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स)। आजादी के बाद 26 नवंबर, 1947 में पेश हुए पहले बजट के बाद इस साल ऐसा पहली बार होगा कि कोई बजट दस्तावेज नहीं छपेगा। कोरोना संक्रमण के डर और महामारी प्रोटोकॉल के चलते, इस बार बजट 2021-22 के दस्तावेज नहीं छापे जा रहे हैं। सभी संसद सदस्यों को इस बार बजट के दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी मुहैया कराई जाएगी और खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बजट की सॉफ्ट कॉपी ही पढ़ेंगी।
केंद्रीय बजट की छपाई हर साल वित्त मंत्रालय की प्रिंटिंग प्रेस में होती रही है। वित्त मंत्रालय का कहना था कि बजट के दस्तावेजों की छपाई के लिए 100 से ज्यादा लोगों को दो हफ्ते तक एक ही जगह रखना होता है। कोरोना को देखते हुए सरकार इतने लोगों को इतने लंबे समय तक प्रिंटिंग प्रेस में नहीं रख सकती। इस लिए इस बार बजट दस्तावेजों से भरे ट्रक संसद भवन में नजर नहीं आएंगे।
आजादी के बाद भारत में केंद्रीय बजट पहली बार 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। तभी से बजट दस्तावेज हर साल छापे जाते रहे हैं। वित्त मंत्रालय बजट दस्तावेजों की छपाई प्रक्रिया की शुरुआत के मौके पर हर साल हलवा सेरेमनी करता है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा।
हर बार वित्त मंत्री बजट दस्तावेज आमतौर पर चमड़े के ब्रीफकेस में लेकर संसद भवन पहुंचते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 1947-1949 तक देश के पहले वित्त मंत्री रहे आरके शणमुखम चेट्टी ने की थी। इसमें थोड़ा बदलाव करते हुए 2019- 20 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट दस्तावेज लाल रंग के पारंपरिक बही खाते में लेकर संसद भवन पहुंची थीं।
साल 2016 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐलान किया था कि अब से केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश होगा। इसके अलावा 92 साल से अलग पेश होते आ रहे रेल बजट को केंद्रीय बजट में शामिल कर दिया गया।