नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में इंजीनियरिंग संस्थान तथा अटल बिहारी वाजपेयी प्रबंधन एवं उद्यमिता संस्थान की आधारशिला रखी।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री निशंक ने संस्थान का नाम भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने पर हर्ष व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यहां पढ़ने वाले छात्रों, शोधार्थियों और अध्यापकों को अटल जी के कालजयी व्यक्तित्व और विकासोन्मुखी विचारों से प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने वाजपेयी के कार्यकाल के बारे में और उनकी उपलब्धियों के बारे में भी सभी को अवगत करवाया। उल्लेखनीय है कि अटल बिहारी वाजपेयी 16 मई से 1 जून, 1996 तक तथा फिर 19 मार्च, 1998 से 22 मई, 2004 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी शिक्षा संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप होनी चाहिए। ऐसी शिक्षा छात्रों को जीवन जीने की दृष्टि और उद्यमिता प्रदान करती है, साथ ही यह पूरे समाज को भी सक्षम बनाती है। ऐसी ही दूरगामी सोच के साथ हमने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, कोई बहुत अधिक अंतर नहीं होगा। नई शिक्षा नीति लागू होने से पहले ही जेएनयू द्वारा भाषा, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, उद्यमिता एवं आर्थिक विषयों में बहुवैकल्पिक शिक्षा के पाठ्यक्रम लागू करने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की। निशंक ने कहा कि विश्वविद्यालय इसी तरह देश को शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगा। जेएनयू में यह क्षमता भी है कि वह देश के शिक्षण संस्थानों को इसके क्रियान्वयन की दिशा प्रदान करे।
निशंक ने इंजीनियरिंग संस्थान तथा अटल बिहारी वाजपेयी प्रबंधन एवं उद्यमिता संस्थान के संबंध में कहा कि इन दोनों संस्थानों के साथ-साथ विश्वविद्यालय में सुविधाजनक अन्य भवन व साधनों की व्यवस्था के लिए सरकार से हेफ़ा फंड के अन्तर्गत एक बड़ी राशि जुटाने में जेएनयू कुलपति सफल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस फ़ंड के सदुपयोग से जेएनयू का भविष्य और भी सुदृढ़ एवं प्रभावी होगा और यहां आकर पढ़ने वाले छात्रों, शोधार्थियों, अध्यापकों को उपयुक्त सुविधाएं भी प्राप्त होंगी। प्रस्तावित भवन विश्वस्तरीय उच्च-गुणवत्ता वाली सुविधाओं से सम्पन्न होगा, जिससे प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा शास्त्र व शैक्षिक माहौल का विकास होगा।
उन्होंने कहा कि कुलपति एम जगदीश कुमार की दूरदृष्टि की वजह से ही पिछले पांच वर्षों में जेएनयू में अनेक नए अकादमिक संस्थानों का प्रारम्भ किया गया है, जिनसे हमारे देश की युवा पीढ़ी को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा और उन संस्थानों में से यह दो संस्थान आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक अहम भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर जेएनयू के कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार, उपकुलपति प्रो. चिन्तामणि महापात्र, प्रो. सतीश चन्द्र गरकोटी और प्रो. राणा प्रताप सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. प्रमोद कुमार एवं अन्य फैकल्टी सदस्य और छात्र भी उपस्थित थे।