डीआरडीओ ने फ्लोरिडा ​की कंपनी ​को दी ‘​सुमेरु-पैक्स​’ ​की तकनीक

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नई दिल्ली, 03 दिसम्बर (हि.स.)​​​ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने गुरुवार को पर्सनल पोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) सूट ​के नीचे पहने जाने वाले ​​’​सुमेरु-पैक्स​’ की तकनीकी ​​​फ्लोरिडा ​की कंपनी रिओट ​लैब्स को सौंप दी। डीआरडीओ ने ​​​​पीपीई ​किट ​पहनने वालों को सहज रखने के लिए ​यह ​उपकरण विकसित किया है। ​​इसका इस्तेमाल ​पीपीई सूट के अंदर ​पहनकर किया जाना है​​​​​ 

​​डीआरडीओ के अधिकारियों को डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों से मिले फीडबैक के आधार पर पता चला कि पीपीई ​किट पहनने वाले ​लोग ​30 से 45 मिनट के बाद असहज महसूस करते हैं और पसीना आने लगता है।​ इसके बाद डीआरडीओ​ नेएक व्यक्तिगत वायु ​संचालन प्रणाली विकसित की, जिसका उपयोग पीपीई ​किट के अंदर ​पहनने ​में किया जा सकता है। ​’​सुमेरु-पैक्स​’ नाम का यह उपकरण ​​​​पीपीई ​किट पहनने वालों को बिना पसीना बहाए आराम करने में मदद करता है।लगभग 500 ग्राम वजन के छोटे बैकपैक के रूप​ ​में यह उपकरण 39 डिग्री सेल्सियस के तापमान​ तक ​भी ​अच्छी तरह से काम करता है और पहनने वाले को बिना पसीने के आरामदायक और ठंडा रखता है।​ ​यह प्रणाली विशेष रूप से डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के लिए उपयुक्त है जो अस्पतालों में ​छह-​छह घंटे ​तक ​पीपीई ​किट ​​पहनकर कार्य करते हैं। ​यह ​डिवाइस एक फिल्टर की मदद से बाहरी हवा खींचता है और सामने की ओर खुलने से नम हवा बाहर निकलती है, जिससे गर्दन और सिर का क्षेत्र ठंडा होता है।
 
​​फ्लोरिडा​ की कंपनी रिओट ​लैब्स ​का मानना है कि तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी भौगोलिक सीमाओं को तोड़ रही है और वैश्विक आर्थिक संकट और पर्यावरणीय आपदा जैसे मुद्दे बहुराष्ट्रीय और बहुसांस्कृतिक सहयोग को एक आवश्यक वास्तविकता बना रहे हैं। आज के वैश्विक संगठनों में अधिक से अधिक काम व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है, व्यक्तियों द्वारा नहीं। विविधता अक्सर नए दृष्टिकोण और अभिनव समाधानों को प्रोत्साहित करती है, सांस्कृतिक मतभेद भी गलतफहमी और संघर्ष का कारण बन सकते हैं।   
 

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