एकान्तवास के बाद कोरोना के लक्षण न दिखने पर जल्द मुक्त किया जाए

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नई दिल्ली, 12 मई (हि.स.) । दिल्ली हाइकोर्ट ने अथॉरिटीज को निर्देश दिया है कि अगर घर पर एकान्तवास (होम क्वारेंटाइन) में रखे गए व्यक्ति में 14 दिनों के भीतर कोरोना के लक्षण न दिखे, तो उसे इस अवधि के बाद एकान्तवास से मुक्त करने के मामले पर जल्द से जल्द फैसला ले। ऐसा व्यक्ति इसके लिए अथॉरिटीज को अपना प्रतिवेदन दे सकता है।
हाईकोर्ट ने उस याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया जिसमें दिल्ली सरकार की एकान्तवास से जुड़ी गाइडलाइंस को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता उन लोगों में से एक था जिसे एक पिज्जा डिलीवरी ब्वाय को संक्रमित मिलने के बाद एकान्तवास में भेज दिया गया था। याचिकाकर्ता पेशे से फोटो जर्नलिस्ट अमित भार्गव हैं। वह एक पिज्जा डिलीवरी ब्वाय के संपर्क आया था। याचिकाकर्ता पिज्जा डिलीवरी ब्वाय के संपर्क में आनेवाले 72 लोगों में से एक था। उसने तीस दिनों तक होम कोरेंटाइन के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
अमित भार्गव की ओर से वकील श्येल त्रेहान और दीया कपूर ने याचिका में कहा था कि वह कोरोना संक्रमित पिज्जा ब्वाय के संपर्क में 24 और 25 मार्च की दरम्यानी रात को आया था। याचिका में कहा गया था कि उसके घर पर 15 अप्रैल को होम क्वारेंटाइन का नोटिस चस्पा किया गया कि वो 24 मार्च से 20 अप्रैल तक होम क्वारेंटाइन रहेगा।
याचिका में कहा गया था कि जो क्वारेंटाइन नोटिस चस्पा किया गया है वो अधूरा है। उस नोटिस में ये नहीं बताया गया कि संक्रमित व्यक्ति की जांच 14 अप्रैल को हुई जबकि वह पिज्जा ब्वाय के संपर्क में बीस दिन पहले ही आया था। इससे उसकी छवि को काफी नुकसान हुआ। उसके पड़ोसियों ने उससे पूछना शुरू कर दिया कि उसने 24 मार्च से क्वारेंटाइन का पालन क्यों नहीं किया।
याचिका में कहा गया था कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक उसका 14 दिनों का क्वारेंटाइन की अवधि 7 अप्रैल को खत्म होनी चाहिए थी। उसके 30 दिनों से ज्यादा दिनों के क्वारेंटाइन होने का कोई आधार नहीं है । वैसे व्यक्ति को जो केवल एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया हो उसे इतने दिनों तक कोरेंटाइन में रखने का आदेश मनमाना है।
याचिका में कहा गया था कि 20 अप्रैल को उनके निवास पर कुछ लोग उसके टेस्टिंग के लिए आए और बिना सैंपल लिए चले गए। याचिका में क्वारेंटाइन नोटिस को निरस्त करने की मांग की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली सरकार से ये साफ करने का दिशानिर्देश दिया जाए कि किसी व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद 14 दिनों के लिए एकांतवास में भेजा जाता है या 28 दिनों के लिए।

 


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