सबरीमाला विवाद के लिए केरल सीएम जिम्मेदार, केंद्रीय एजेंसी करे जांच: सबरीमाला कर्म समिति
नई दिल्ली, 08 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) सहित विभिन्न हिन्दुवादी संगठनों के समूह अखिल भारतीय सबरीमाला कर्म समिति(एसएसी) ने केरल में भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर जारी विवाद के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। समिति ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही राज्य में जारी विवाद की केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच की मांग की है।
अखिल भारतीय सबरीमाला कर्म समिति के संरक्षक केरल के स्वामी चिदानंद पुरी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर देशभर में भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लिंग-भेद, छुआछूत और बायोलॉजिकल समस्या से जोड़ा जा रहा है, जबकि यह सीधे तौर पर आस्था व श्रद्धा की मान्यता से जुड़ा विषय है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले को मंदिर की आचार व्यवस्था के विपरीत बताते हुए स्वामी चिदानंद पुरी ने कहा कि यह केवल एक मंदिर का मामला नहीं है। भगवान अयप्पा वहां ब्रह्मचारी रूप में तपस्यारत होते हैं इसलिए वहां अलग नियम हैं जबकि अन्य मंदिरों में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भी पांच-छह भगवान अयप्पा के मंदिर हैं लेकिन वहां ऐसी कोई प्रवेश की शर्त नहीं है। स्वामी ने कहा कि साफ है कि यदि आप देवालय में जाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको वहां के नियमों का पालन करना ही होगा।
स्वामी ने त्रिवेंद्रम में स्थित अटुकल मंदिर सहित दक्षिण भारत के अनेक मंदिरों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां केवल महिलाएं ही पूजा अर्चना करती हैं। इन मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। उन्होंने कहा कि कुछ मंदिर तो ऐसे भी हैं जहां संन्यासियों तक को प्रवेश नहीं है। उन्होंने कहा कि हम किसी महिलावादी आंदोलन या महिला अधिकारों के खिलाफ नहीं हैं।
सबरीमाला कर्म समिति के अध्यक्ष जस्टिस एन. कुमार ने राज्य सरकार पर सबरीमाला मंदिर के मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विजयन के नेतृत्व वाली सरकार धर्म में विश्वास ही नहीं करती, इसलिए वह धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी पार्टी विशेषकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और मुस्लिम कट्टरपंथी व चरमपंथी समूहों के बीच की कड़ी को केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांचे जाने की जरूरत है। राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति और हिन्दुओं विशेषकर सबरीमाला भक्तों के खिलाफ अपने कृत्य के लिए मुख्यमंत्री विजयन को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देकर उनसे माफी मांगनी चाहिए।
समिति ने कहा कि राज्य में गंभीर स्थिति को देखते हुए जो संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है, ऐसे में हमारी केंद्र सरकार से मांग है कि सबरीमाला मंदिर के भक्तों के अधिकारों को स्थापित करने और उन्हें मार्क्सवादियों के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लागू पुलिसराज और चरमपंथी ताकतों द्वारा फैलाई जा रही हिंसा से बचाने के लिए के लिए सभी उपयुक्त कदम उठाएं।