जानिए कौन हैं अयोध्या मामले पर फैसला देने वाले पांच जज

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।



नई दिल्ली, 09 नवम्बर (हि.स.)। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक माना है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने के लिए कहा गया है। राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है। आइए एक नजर डालते हैं अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली संविधान बेंच के पांचों जजों के बारे में…

 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई-

चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। वे 03 अक्टूबर,2018 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। जनवरी 2018 में उन्होंने तीन जजों के साथ तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में वह पहली घटना थी। कानून की पढ़ाई करने के बाद 1978 से उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। 28 फरवरी,2001 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया। जस्टिस गोगोई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का 2011 में चीफ जस्टिस बनाया गया। अप्रैल 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एनआरसी समेत कई अहम फैसले सुनाए। उन्नाव रेप मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के खिलाफ कार्रवाई करने समेत कई फैसले जस्टिस रंजन गोगोई ने किया है।

जस्टिस एस.ए. बोब्डे-

जस्टिस बोब्डे का जन्म 24 अप्रैल,1956 को नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। वे 2000 में बांबे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त हुए थे। 2012 में वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए थे। अप्रैल 2013 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया।

जस्टिस बोब्डे अयोध्या मामले पर सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच के सदस्य हैं। जस्टिस बोब्डे बीसीसीआई, पटाखों पर बैन करने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच के भी सदस्य थे। जस्टिस बोब्डे निजता के अधिकार मामले पर सुनवाई करने वाली नौ सदस्यीय बेंच के सदस्य थे। जस्टिस बोब्डे आधार मामले पर गठित तीन सदस्यीय बेंच के सदस्य थे।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़-

पूर्व चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के पुत्र जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। इससे पहले वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रह चुके थे। मार्च 2000 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने लंबे समय तक महाराष्ट्र ज्यूडिशियल एकेडमी में निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाली। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अयोध्या मामले पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की भावनाओं के कानूनी पक्ष की जांच की है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने जिन अहम मामलों पर फैसला सुनाया है, उनमें व्याभिचार, निजता का अधिकार जैसे मामले शामिल हैं।

जस्टिस अशोक भूषण-

जस्टिस अशोक भूषण ने 1979 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की थी। अप्रैल 2001 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। वे 2014 में केरल हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए थे। 13 मई 2016 से जस्टिस अशोक भूषण सुप्रीम कोर्ट के जज हैं।

जस्टिस एस. अब्दुल नजीर-

1983 से कर्नाटक हाईकोर्ट से बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू करने वाले जस्टिस अब्दुल नज़ीर को 2003 में कर्नाटक हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। फरवरी 2017 से जस्टिस अब्दुल नज़ीर सुप्रीम कोर्ट के जज हैं। निजता के अधिकार मामले की सुनवाई करने वाली नौ सदस्यीय बेंच के जस्टिस अब्दुल नज़ीर सदस्य थे। ट्रिपल तलाक वाले मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नज़ीर भी शामिल थे। सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच के जस्टिस अब्दुल नज़ीर भी सदस्य थे।

 


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