अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा शुरू, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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ये परिक्रमा बुधवार को प्रातः काल 8 बजे समाप्त होगी। मंगलवार को पूरे दिन और रात को परिक्रमा चलेगी।



अयोध्या, 05 नवम्बर (हि.स.)। रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा की मंगलवार को सख्त सुरक्षा प्रबंध के बीच विधिवत शुरुआत हो गयी। ये परिक्रमा बुधवार को प्रातः काल 8 बजे समाप्त होगी। मंगलवार को पूरे दिन और रात को परिक्रमा चलेगी। सरयू तट पर स्नान के साथ परिक्रमा जिस स्थान से शुरु होती है, उसी स्थान पर समाप्त भी करते हैं। श्रद्धालु परिक्रमा की शुरुआत नयाघाट पर सरयू नदी के तट पर स्नान के साथ शुरू कर वहीं पर समाप्त करते हैं।
ड्रोन कैमरे से हो रही निगरानी
पूरे परिक्रमा क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है। रामनगरी में प्रतिवर्ष कार्तिक मास में नवमी तिथि को चौदह कोसी परिक्रमा होती है। प्रसिद्ध ज्योतिषी आचार्य रघुनाथ शास्त्री ने बताया कि अयोध्या में मुख्य तौर से तीन प्रकार की परिक्रमा होती है। पहली 84 कोसी, दूसरी 14 कोसी और तीसरा 5 कोसी परिक्रमा। एक कोस में तीन किलोमीटर होते हैं। अयोध्या की सीमा तीन भागों में बंटी है। इसमें 84 कोस में अवध क्षेत्र, 14 कोस में अयोध्या नगर और 5 कोस में अयोध्या का क्षेत्र आता है। इसलिए तीन परिक्रमा की जाती है। इनमें से 84 कोसी परिक्रमा में साधू-संत हिस्सा लेते हैं, तो 14 कोसी और 5 कोसी परिक्रमा में आम लोग श्रद्धालु शामिल होते हैं।
पग-पग पर पाप नष्ट होते हैं परिक्रमा में
उन्होंने कहा कि परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म के मुताबिक जीवात्मा 84 लाख योनियों में भ्रमण करती है। ऐसे में जन्म जन्मांतर में अनेक पाप भी किए होते हैं। इन पापों को नष्ट करने के लिए परिक्रमा की जाती है। कहा जाता है कि परिक्रमा में पग-पग पर पाप नष्ट होते हैं। 14 कोसी परिक्रमा का महत्व कार्तिक माह में 14 कोसी परिक्रमा वर्ष में एक बार होती है। मान्यताओं के मुताबिक बड़ी परिक्रमा अर्थात चौदह कोसी परिक्रमा का सीधा सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से है।
श्रीराम के वनवास से जुड़ी है परिक्रमा की मान्यता
मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक परिक्रमा के दौरान भगवान विष्णु का देवोथान होता है। इस वजह से इस दौरान किए गए काम का क्षरण नहीं होता। श्रद्धालु अगर मन से परिक्रमा में हिस्सा लें तो उसका फल उन्हें अवश्य मिलता है। किंवदंतियों के अनुसार श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अपने को जोड़ते हुए अयोध्यावासियों ने हर साल एक कोसी परिक्रमा कर चौदह वर्ष के लिये चौदह कोस परिक्रमा पूरी की। इसके आधार पर यह परम्परा बन गयी। 5 कोसी परिक्रमा का महत्व हर वर्ष देवोत्थानी एकादशी तिथि को 5 कोसी परिक्रमा का विधान है। वैसे तो अयोध्या क्षेत्र में यह परिक्रमा हर एकादशी को होती है, जिसे साधु संतों द्वारा किया जाता है। इस तरह से हर महीने में दो बार ये परिक्रमा होती है। भगवान को समर्पित परिक्रमा पापों को नष्ट करती है।
असमर्थ श्रद्धालु रामकोट या कालेराम मंदिर में करते हैं परिक्रमा
जिन लोगों को चलने में परेशानी है। वह रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा भी कर सकते हैं। ये दूरी 3 किलोमीटर की है। वहीं, जो लोग रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा करने में भी असमर्थ हैं, वह अयोध्या में स्थ‍ित कनक भवन की परिक्रमा भी कर सकते हैं। कनक भवन रामनगरी के प्रतिष्ठित मंदिर में शुमार है। मान्यता है कि भगवान राम के विवाह के बाद माता कैकई ने सीता जी को सोने का महल मुंह दिखाई में दिया था। जिसे कनक भवन के नाम से जाना जाता है। रामनगरी के नाभिकीय स्थल स्वर्गद्वार मुहल्ले में कालेराम मंदिर स्थित है। यहां की प्रतिमा सरयू में मिली थी, जिसका विधिवत पूजन-अर्चन किया जाता है। जो लोग परिक्रमा नहीं कर सकते हैं। वह मंदिर की परिक्रमा कर पुण्य का लाभ ले सकते हैं। मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां सरयू में डुबकी लगाने के साथ ही नागेश्वरनाथ मंदिर, हनुमानगढ़ी व कनक भवन के अलावा श्रीरामजन्मभूमि में विराजमान रामलला का दर्शन कर रहे हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
अपर जिलाधिकारी नगर डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि परिक्रमा को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं। परिक्रमा पथ को चौदह लेन व सेक्टरों में बांटकर जोनल मजिस्टेट्रों की तैनाती की गयी है। इस मेले में आठ कम्पनी पैरा मिलेट्री फोर्स, पांच एएसपी, अठारह डीएसपी और चार सौ आरक्षी सहित कई कम्पनियां पीएसी व आरएएफ के जवान के साथ पुलिस बल को तैनात किये गये हैं। पहले जोन में दो सेक्टर व दो स्टैटिक मजिस्ट्रेट लगाए हैं।
दूसरे जोन में जोनल मजिस्ट्रेट के साथ दो सेक्टर मजिस्ट्रेट और दो आरक्षित मजिस्ट्रेट लगाए गए हैं। तृतीय जोन में जोनल मजिस्ट्रेट के साथ एक सेक्टर व चार स्टैटिक और दो आरक्षित मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है। चतुर्थ जोन में जोनल मजिस्ट्रेट के साथ एक सेक्टर, दो सब सेक्टर और 18 स्टैटिक और दो आरक्षित मजिस्ट्रेट लगाए गए हैं। पंचम जोन में जोनल के साथ दो सेक्टर और एक सेक्टर दो स्टैटिक और दो आरक्षित मजिस्ट्रेट लगाए गए हैं।
वहीं, प्रत्येक जोन में एक एएसपी व दो डीएसपी की तैनाती की गई है। ये सभी अपने-अपने ड्यूटी क्षेत्र में तैनात पुलिस व प्रशासन के कर्मियों की मॉनिटरिंग करेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से इन सभी जोन में 9 एएसपी, 15 डिप्टी एसपी, 30 निरीक्षक, 250 उपनिरीक्षक, 700 सिपाही समेत 8 कंपनी पीएसी व 5 कंपनी आरएएफ विभिन्न स्थानों पर तैनात किए गए हैं।

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