आरा, 04 अक्टूबर (हि.स.)। आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले बिहार के महान गणितज्ञ डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह की बीमारी से भोजपुर जिले के कड़रा बसंतपुर गांव में लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं और लोग मिट्टी के लाल की बिगड़ी तबियत से बेचैन हो उठे हैं। शुक्रवार को फिलहाल उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है किंतु अभी उन्हें चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है।
डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह का नाम तब पूरी दुनिया में एकाएक सुर्खियों में आया था जब नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले 31 कम्प्यूटरों के अचानक बन्द हो जाने के बाद उन्होंने उंगलियों पर ही कैलकुलेशन करना शुरू कर दिया था। जब कम्प्यूटर ठीक हुए और उसके कैलकुलेशन का अध्ययन किया गया तो बसंतपुर के इस होनहार और कम्प्यूटर के कैलकुलेशन एक समान थे। इसके बाद डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह की ख्याति भारत के अलावा अमेरिका सहित दुनिया भर में एक महान गणितज्ञ के तौर पर फैल चुकी थी।
बिहार के आरा के निकट कड़रा बसंतपुर गांव में 02 अप्रैल 1942 को जन्मे डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह की दो दिनों पूर्व से एक बार फिर तबियत बिगड़ी है और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।संयुक्त बिहार के दौरान नेतरहाट विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेज्युशन की पढ़ाई करने वाले बशिष्ठ नारायण सिंह पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर पड़ी। उन्होंने उनकी प्रतिभा को भांप लिया और उन्होंने वर्ष 1965 में बशिष्ठ नारायण सिंह को लेकर अमेरिका चले गए। वर्ष 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से ही पीएचडी की डिग्री ली और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए।
इस दौरान उन्होंने नासा में भी कार्य किया किन्तु वहां उनका मन नहीं लगा और 1971 में वे स्वदेश वापस लौट आए। भारत लौट कर उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुम्बई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी भी की। वर्ष 1973 में उनकी शादी वंदना रानी से हुई और यही वह टर्निंग प्वाइंट था, जब उनकी जिंदगी में एक ऐसा पड़ाव आया जहां वे असामान्य व्यवहार के लिए जाने जाने लगे।गंवई वेशभूषा में रहने वाले इस महान शख्सियत को शहरों की चकाचौंध से आई उनकी पत्नी ने पहचानने में भूल कर दी और अंततः पत्नी ने उनसे तलाक ले लिया।
उसके बाद डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह विक्षिप्त की तरह रहने लगे। डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह बीते 45 सालों से सिजोफ्रेनिया नाम की बीमारी की चपेट में आकर विक्षिप्त की जिंदगी जी रहे हैं। वर्ष 1989 में डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह अचानक गायब हो गए थे। उनकी खोजबीन शुरू हुई लेकिन वे नहीं मिले। अचानक वर्ष 1993 में सारण जिले के डोरीगंज में लोगों ने उन्हें पहचान लिया, तब उन्हें वापस घर लाया जा सका। उस समय वे भिखारी की वेशभूषा में पाए गए थे। ढाई दशक पूर्व भोजपुर के लोगों की मांग पर राज्य सरकार ने उनके इलाज की घोषणा तो की किन्तु औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली।
भोजपुर के इस बशिष्ठ नारायण सिंह ने आइंस्टीन के सिद्धांत E=MC2 और गैस के सिद्धांत को चुनौती दे दी थी। डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह को आर्यभट्ट और डॉ. सीवी रमन से तेज दिमाग वाला व्यक्ति माना जाने लगा था। अब जब देश और दुनिया के इस महान गणितज्ञ के स्वास्थ्य में गिरावट आई है तो ऐसे में बसंतपुर गांव के अलावा पूरे भोजपुर के लोगों में चिंता और बेचैनी साफ दिखने लगी है। जिले के लोग डॉ. बशिष्ठ नारायण सिंह के जल्द स्वस्थ होकर वापस गांव लौटने का इंतजार कर रहे हैं।