ज्ञान और विनम्रता प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हैं- राज्यपाल
हजारीबाग 03 फरवरी। राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस ने कहा है कि शिक्षक प्रकाश स्तंभ होते हैं।उससे छात्रों का जीवन रोशन होता है। राज्यपाल ने ये बातें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 9 वें दीक्षांत समारोह में कहीं।
राज्यपाल ने इस मौके पर संत विनोबा भावे को नमन करते हुए सभी उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि आप सभी के अभिभावकों और शिक्षकों को विशेष रूप से बधाई देता हूँ जिनके अथक प्रयास और परिश्रम से आज हम यह दिन देख रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक समाज में प्रकाश स्तंभ की तरह होते हैं जो अपने शिष्यों को सही राह दिखाकर अँधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है। आज का दिवस सभी उपाधिधारकों के लिए उनके जीवन का यादगार पल तो है ही साथ ही अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणादायक, उत्साहवर्धक और नवीन आशाओं का संदेशवाहक भी है।
दीक्षांत समारोह में एक विश्वविद्यालय द्वारा अपने विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि को औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाता है। इसलिए आज हम यहाँ जिन विद्यार्थियों ने अथक प्रयास व अपनी बुद्धिमता से डिग्री हासिल करने की योग्यता हासिल की है, उनके सम्मान में इस समारोह को मनाने हेतु एकत्रित हुए हैं। दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं है, आपने सिर्फ किसी पाठ्यक्रम को पूरा किया है। यह विद्यार्थियों को एक अच्छे लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। यहाँ से ज़िंदगी की कसौटी आरंभ होती है। उपाधि धारक विद्यार्थियों के सामने उनका सुनहरा भविष्य इंतजार कर रहा है।
आप सब जानते हैं कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य मानवीय मूल्यों व आदर्शों का विस्तार करना और उन्हें व्यापक जन-समाज तक फैलाना होता है। यही नहीं, विश्वविद्यालय सामजिक, सांस्कृतिक रचनात्मकता के केन्द्र बिन्दु होते हैं। यदि यह इमारत और शिक्षक विश्वविद्यालय में उपलब्ध दो संसाधन कहे जाते हैं तो निश्चित रूप से आप छात्र विश्वविद्यालय का तीसरा संसाधन हों। वास्तव में शिक्षण की असली खुशी अपने छात्रों में निहित प्रतिभा व खोज की क्षमताओं को बाहर निकालना है। शिक्षा आपके अंदर आत्मविश्वास जगाती है किंतु आपको आत्मविश्वासी होने के साथ विनम्र होना भी आवश्यक है। ज्ञान एवं विनम्रता से जीवन में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
विश्वविद्यालय को सिर्फ किताबी ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं रहना चाहिये बल्कि टीम वर्क की भावना से कार्य करते हुए विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, अनुशासन, सदाचार आदि जैसे नैतिक गुणों को विकसित करने की दिशा में भी ध्यान देना चाहिये। सफलता हमारा परिचय दुनिया से कराती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय कराती है। भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है। अपने रास्ते खुद चुनिये क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता।
उपाधि प्राप्त करने वालों में बालिकाओं की एक बड़ी संख्या दिखाई दे रही है, यही नये भारत की बेटियाँ हैं, जो अपनी क्षमता, दक्षता और प्रतिबद्धता से विकास की नयी इबारत लिख रही हैं। हमारी बेटियाँ पढ़ रही हैं, बढ़ रही हैं और नया समाज व देश गढ़ते हुए अध्याय भी लिख रही हैं। हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो फिर परिस्थितियाँ हमारा भाग्य लिख देंगी।
मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि यह विश्वविद्यालय अपने को राज्य-स्तर पर ही नहीं वरन राष्ट्रीय फलक पर उत्कृष्ट विश्वविद्यालय की श्रेणी में विकसित करने की दिशा में कोशिश कर रहा है। विश्वविद्यालय में ज्ञान का ऐसा सुंदर वातावरण स्थापित हो कि देश के अन्य राज्यों के विद्यार्थी भी यहां पढ़ने हेतु आयें, देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सर्वेक्षण तालिका में हमारे यहां के विश्वविद्यालय अग्रिम स्थान प्राप्त करने की दिशा में आत्म-संकल्प के साथ आगे बढ़ें। वर्तमान दौर में विश्वविद्यालयों द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा (क्वालिटी एजुकेशन) के साथ-साथ उत्कृष्टता (एक्सीलेंस) की संस्कृति की स्थापना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
हमारे यहां के विद्यार्थी प्रतिभावान हैं, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छा कर राज्य का गौरव बढ़ा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि यह क्षेत्र एजुकेशन हब तो है ही, अब यहां रोजगार एवं स्वरोजगार के भी अधिक-से-अधिक अवसर उत्पन्न हो, ताकि यहां की प्रतिभाओं को बाहर पलायन न करना पड़े और उनके ज्ञान, अनुभव एवं कौशल का राज्य को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो। आज हमारे विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु विदेश जाने के इच्छुक रहते हैं, हमें इसके कारणों जानने होंगे और इस दिशा में व्यापक कार्य करना होगा तथा इसमें परिवर्तन लाना होगा। विश्वविद्यालयों के स्तर में सुधार लाना होगा ताकि विश्व के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में हमारे संस्थानो की भी गणना हो सके।
आप आज नए जीवन में प्रवेश कर रहे हैं। आज तक आपको बताया गया है कि अध्ययन, शिक्षाविद, ग्रेड महत्वपूर्ण थे। ‘अभिरुचि, योग्यता नहीं, ऊँचाई निर्धारित करती है।‘ हमें सही दृष्टिकोण रखना चाहिये। मुझे विश्वास है कि प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदलने के लिए आप लोग अपने विवेक व कौशल का परिचय देते हुए समाज में दिशा-निर्देशक की भूमिका अवश्य निभाएंगे। आप देश के भरोसे पर खरा उतरे, कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच एवं अनुशासन के साथ अपना कर्म करते रहे, इसी से आपकी एक विशिष्ट पहचान बनेगी।
§ आज का यह दीक्षांत समारोह उपधि प्राप्त करनेवाले सभी विद्यार्थियों के लिए ऐतिहासिक है। आपकी यह उपलब्धि आपकी लगन व परिश्रम का फल है। आप इस विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा की मशाल के वाहक हैं। अपने विकास के साथ-साथ समाज के पीछे छूटे लोगों व समुदायों के जीवन को उन्नत बनाने की सकारात्मक भावना आप में सदैव बनी रहे, यही मेरी कामना है। ज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग व्यक्ति व समाज के विकास के लिए अत्यंत अनिवार्य है।
सीमा सिन्हा ब्यूरो प्रमुख।