दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा “अनुपयोगी कानून” विषय पर वेबिनार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
नई दिल्ली, 22 जनवरी: दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा शाहदरा शाखा के पुस्तकालय कर्मचारियों तथा पाठकों हेतु दिनांक 22 जनवरी 2021 को “अनुपयोगी कानून” विषय पर संगोष्ठी के द्वितीय सत्र का वेबिनार द्वारा आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया तथा वक्ता के रूप में माननीय उच्चतम न्यायालय से सलाहकार (पुस्तकालय) डॉ. आर. के. श्रीवास्तव उपस्थित रहे। श्रीमती कीर्ति दीक्षित द्वारा सरस्वती वंदना से वेबिनार का शुभारम्भ किया गया।
डॉ. आर. के. श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के विषय की रूप-रेखा रखते हुए बताया कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है I कानूनों का समय-समय पर मूल्यांकन, समीक्षा एवं सुधार कुशल व्यवस्था का सूचक है I कानूनों का लचीला होना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि समय के साथ बहुत से कानून अप्रासंगिक व निष्प्रभावी हो जाते है इसलिए आवश्यकतानुसार बनाये गए कानूनों का मूल्यांकन, समीक्षा, संशोधित एवं निरस्त करने के प्रवधान है l समय-समय पर भारत का कानून आयोग पुराने कानूनों का संशोधन करने, नए कानूनों को प्रस्तावित करने एवं अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करता है l विशिष्ट विषयों के कानूनों में संशोधन की आवश्यकता होने पर सम्बंधित विषय विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाता है जो विषय से सम्बंधित प्रस्ताव प्रस्तुत करती है l उदाहरण के लिए आज के तकनीकीकरण एवं प्रौद्योगिकी के युग में पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनियम एवं प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम में वर्तमान समय की आवश्यकता अनुसार संशोधन किये गए हैं l कानूनों का नियमित मूल्यांकन, संशोधन करने हेतु भी, यह आवशयक है कि अनुपयोगी कानूनों को सर्वप्रथम संविधा पुस्तक (Statute Book) से हटाया जाये। l वर्तमान में भारत सरकार द्वारा अनुपयोगी कानून निरस्त करने के लिए बहुत से सराहनीय कदम उठाये जा रहे हैं I अंत में इस आशा के साथ कि इसी तरह भारत सरकार द्वारा नियमित रूप से कानूनों का मूल्यांकन, अध्ययन तथा संशोधन किया जाता रहेगा उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन किया।
डॉ. रामशरण गौड़ ने अपने अध्यक्षीय भाषण का प्रारंभ करते हुए बहुमूल्य वक्तव्य द्वारा श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करने हेतु डॉ. आर. के. श्रीवास्तव का धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि मुख्य वक्ता द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया व संशोधन हेतु विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है जिसकी जानकारी हर आम नागरिक को होनी चाहिए ताकि वह अपने अधिकारों व कर्तव्यों का निष्पादन कर सकें I
अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्री आर. के. मीना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।