कोलकाता, 27 दिसंबर (हि.स.)। हजारों करोड़ रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार को हिरासत में लेने की अर्जी लगाई है। जांच एजेंसी ने 277 पन्नों का आवेदन पत्र दिया है जिसमें कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। पता चला है कि चिटफंड कंपनी ने एक और चिटफंड कंपनी अल्केमिस्ट के साथ मिलकर 2011 में विधानसभा चुनाव में खड़े तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को 55 करोड़ 35 लाख रुपये दी थी।
सीबीआई ने अपने आवेदन पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि 2011 के विधानसभा चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस को सारदा और अल्केमिस्ट चिटफंड कंपनी ने भारी धनराशि दी थी। तृणमूल के उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए 205 विधानसभा प्रत्याशियों को चिटफंड कंपनी की ओर से प्रति व्यक्ति 25 लाख रुपये की धनराशि दी गई थी।
दरअसल चिटफंड कंपनी को इस बात का अंदाजा लग गया था कि बंगाल में सत्ता परिवर्तन होने वाला है। अगर तृणमूल कांग्रेस को खुश कर नहीं रखा जाएगा तो बिजनेस करना मुश्किल होगा। इसलिए इतनी बड़ी धनराशि चिटफंड की ओर से तृणमूल को दी गई थी। इतनी बड़ी मात्रा में धनराशि नेताओं के बीच वितरण करने की वजह से चिटफंड कंपनी निवेशकों का पैसा नहीं लौटा पाई है और राज्य के लाखों लोगों की गाढ़ी कमाई डूब गई। रुपये के लेनदेन और प्रत्याशियों के बीच वितरण की मुख्य जिम्मेदारी ममता बनर्जी के तत्कालीन अहम सहयोगी रहे वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय और पूर्व पुलिस अधिकारी रजत मजूमदार की थी। मुकुल रॉय फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
यह भी पता चला है कि चिटफंड कंपनी ने जंगलमहल परियोजना के तहत 13 एंबुलेंस और मोबाइल यूनिट दिया था। उसके बाद ममता बनर्जी की सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से चिटफंड कंपनी को 23 महीने तक प्रति महीने 27 लाख के हिसाब से छह करोड़ 21 लाख रुपये दिये थे। जांच एजेंसी का कहना है कि यह सब एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है और बिधाननगर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त के रूप में राजीव कुमार ने जांच के दौरान सामने आए उन सभी महत्वपूर्ण साक्ष्यों को नष्ट किया है, जिनकी वजह से सत्तारूढ़ पार्टी के नेता फंस सकते थे।