कोविड-19 के बारे में भ्रामक सूचना के ‘वायरस’ को तत्काल रोकना आवश्यक : उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 06 अप्रैल (हि.स.)। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों को आगाह किया कि वे अंधविश्वास और सुनी-सुनाई बातों के बहकावे में आकर कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ अपने संकल्प को कमजोर न होने दें। उन्होंने भ्रामक सूचना के प्रसार को, विशेषकर सोशल मीडिया द्वारा हो रहे प्रसार को ‘वायरस’ की संज्ञा देते हुए कहा कि इसे तत्काल रोका जाना जरूरी है।
अफवाहों और भ्रामक सूचना के प्रसार को रोकने के लिए प्रामाणिक सूचना के प्रसार को जरूरी बताते हुए नायडू ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि यदि हम इस कठिन परिस्थिति की गंभीरता को सही तरह से नहीं समझ सकते, तो हम वायरस के विरुद्ध यह जंग नहीं जीत सकते।
कुछ राज्यों में सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों के गैर जिम्मेदाराना उल्लंघन तथा नई दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के संदर्भ में उप राष्ट्रपति ने दिशा-निर्देशों के और व्यापक प्रसार तथा कड़ाई से पालन किए जाने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्थिति की गंभीरता के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। वायरस संक्रमण के बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर, जात-पात, क्षेत्र-भाषा संप्रदाय से ऊपर उठकर, एक समेकित प्रयास अपेक्षित है।
नायडू ने कहा कि सभी सम्प्रदायों को सहमत होना होगा कि सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को हल्के में नहीं लिया जा सकता और जब तक चुनौती पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाती, तब तक कोई विशाल कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में दिशा-निर्देशों के ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण गैर जिम्मेदाराना उल्लंघन नहीं होंगे।
 उप राष्ट्रपति ने लोगों से संप्रदायों के बारे में निराधार पूर्वाग्रहों से बचने को कहा और आयोजनों को पूर्वाग्रहों के चश्मे से न देखने की सलाह दी। संक्रमण के विरुद्ध राज्य सरकारों, समाजसेवी संस्थाओं तथा निजी क्षेत्र द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता के कार्य किए जा रहे हैं तथा दुर्बल वर्गों एवम् प्रतिस्थापित मजदूरों की कठिनाइयों का समाधान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य कटाई के समय में किसानों की चिंताओं से अवगत हैं तथा सुचारू रूप से फसलों की कटाई तथा खाद्यान्न की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम प्रस्तावित हैं।
 उन्होंने कहा कि अभी ढील देने का अवसर नहीं है, अभी आगे भी कठिन लड़ाई है। उन्होंने कहा कि हमें सम्मिलित रूप से इस खतरे के प्रति सजग रहना होगा। संकल्प और प्रयासों की एकता तथा अपने साहसी योद्धाओं को सौहार्द पूर्ण समर्थन, समय की मांग है। उन्होंने कहा कि अपने अग्रिम पंक्ति में खड़े योद्धाओं, विशेषकर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा और सम्मान, अपने अभीष्ट उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नितांत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि एक सत्कर्म, एक करुणामय कर्म, मानवता के त्राण के लिए किया गया एक भी संकल्पबद्ध प्रयास, वर्तमान की इस अंधेरी गुफा से बाहर निकलने के लिए एक बड़ा कदम सिद्ध होगा।

 


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