नई दिल्ली/वाशिंगटन, 25 दिसम्बर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था गहरी सुस्ती की दौर से गुजर रही है। सरकार को इससे उबरने के लिए तुरंत नीतिगत उपाय करने की जरूरत है। आईएमएफ ने यह बात अपनी रिपोर्ट में कही है।
आईएमएफ के निदेशकों ने रिपोर्ट में लिखा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में हाल के वर्षों में जोरदार विस्तार हुआ, उससे लाखों लोगों को गरीबी से बाहर आने में मदद मिली है। हालांकि, साल 2019 की पहली छमाही में कई वजहों से भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर सुस्त पड़ी है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि भारत में समावेशी और टिकाऊ विकास नहीं हुआ, तो ये अवसर बर्बाद हो जाएगा। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नई सरकार बहुमत में है। इसलिए अवसर है कि संयुक्त और सतत विकास के लिए सुधारों की प्रक्रिया तेज की जाए।
आईएमएफ एशिया और प्रशांत विभाग में भारत के लिए मिशन प्रमुख रानिल सलगादो ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत के साथ अहम मुद्दा अर्थव्यवस्था में सुस्ती का है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती संरचनात्मक नहीं, चक्रीय है, जिसकी वजह वित्तीय क्षेत्र का संकट है। सलगादो ने कहा कि इसकी वजह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण में कमी है। इसके अलावा व्यापक रूप से ऋण को लेकर परिस्थितियां सख्त हुई हैं। इसके अलावा आमदनी, खासकर ग्रामीण आमदनी कम रही है, जिससे निजी उपभोग प्रभावित हुआ है।