नई दिल्ली, 05 दिसम्बर (हि.स.)। दूरसंचार क्रांति से आसान हुई जिंदगी पर साइबर अपराधियों का कड़ा पहरा है। यह अपराधी क्या कर सकते हैं? इसकी कल्पना भर से रूह फना हो जाती है। यह अपराधी वर्चुअल वर्ल्ड में पहचान के रूप में बेहद अहम माने जाने वाले मोबाइल फोन के सिम कार्ड को क्लोन कर किसी को भी मिनटों में कंगाल कर सकते हैं। ऐसा पटेल नगर के युवक प्रवीण के साथ हुआ है। उनके बैंक अकाउंट से 25 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए। इस साइबर अपराधी को मोबाइल फोन प्रदाता कंपनी भी नहीं रोक पाई। प्रवीण की आपबीती सुनकर पटेल नगर पुलिस के होश फाख्ता हैं।
जीवन की गाढ़ी कमाई से हाथ धो चुके प्रवीण की तहरीर पर पुलिस ने 3 दिसम्बर को एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। पुलिस ने गुरुवार को बताया है-‘ 1 नवम्बर को प्रवीण के मोबाइल फोन पर सिमकार्ड अपडेट कराने का मैसेज आया। मैसेज में लिखा था कि नए सिमकार्ड की उनकी रिक्वेस्ट मान ली गई है।’ इस पर प्रवीण का कहना है कि उन्होंने ऐसी कोई रिक्वेस्ट नहीं की थी। इसलिए उन्होंने उस नंबर पर ‘नो सिम’ लिखकर रिप्लाई किया। बावजूद इसके अगले दिन नए सिम कार्ड की रिक्वेस्ट का मैसेज आया। यह देखकर उन्होंने फौरन कस्टमर केयर को फोन किया। कस्टमर केयर ने उन्हें कंपनी के स्टोर पर जाने की सलाह दी। वह अगले ही दिन कंपनी के स्टोर पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि विकास मार्ग स्थित कंपनी के स्टोर में नए सिम कार्ड की रिक्वेस्ट डाली गई है। प्रवीण का कहना है कि कंपनी के स्टोर पर बैठे कर्मचारी ने उन्हें सिम कार्ड अपडेट कराने की सलाह दी।
साइबर अपराधियों का शिकार बने प्रवीण ने बताया कि उन्होंने कर्मचारी से कहा, उन्हें सिम को अपडेट नहीं कराना है। इस बीच उन्हें अपडेट सिम कार्ड आरोपी को मिल गया और उनके मोबाइल फोन का नंबर बंद हो गया। आरोपी ने अपने सिम पर आए ओटीपी का इस्तेमाल कर उनका बैंक अकाउंट एक्सेस किया। कुछ ही देर में उनके अकाउंट से करीब 25 लाख रुपये दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई। उन्हें यह जानकारी तीन पहले बैंक जाने पर मिली। इसके बाद उन्होंने थाने में शिकायत दी।
पुलिस का कहना है कि उसके रडार पर विकास मार्ग का स्टोर है। धोखेबाज के पकड़े जाने पर ही पूरे मामले का खुलासा हो पाएगा।
सिम क्लोनिंग से बचने का उपायः सिम कार्ड पर लिखे 16 अंकों का कोड किसी से भी साझा न करें। भले ही कोई इंटरनेट की स्पीड बढ़वाने और केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर ही कोड क्यों न पूछे। कोई कॉल आने पर यह न बताएं कि मोबाइल नंबर किसके नाम पर रजिस्टर्ड है। ऑनलाइन कस्टमर केयर का नंबर ढूंढकर सलाह मांगने के बजाए स्टोर पर जाने को प्राथमिकता दें, क्योंकि कस्टमर केयर की जगह आरोपी के पास फोन लग सकता है। अपना वैकल्पिक मोबाइल नंबर सिम कंपनी के आधिकारिक ई-मेल पर भेजकर यह हिदायत जरूर दें कि भविष्य में सिर्फ इसी नंबर से फोन जाने पर ही ब्लॉक की प्रक्रिया शुरू की जाए। ऐसा करके सिम कंपनियों को जिम्मेदार बनाया जा सकता है।
क्या करें सिम क्लोनिंग का पता चलने परः सिम क्लोनिंग का पता चलते ही इसकी सूचना तुरंत बैंक को दें। सिम कार्ड बदलवाने की जगह तत्काल अपने बैंक खाते को फ्रीज करा दें। इंटरनेट बैकिंग को कुछ समय के लिए डी-एक्टिवेट करें। पुलिस को सूचना देने के साथ मोबाइल सिम कार्ड केयर पर जाकर भी रिपोर्ट करें। जब तक नया सिमकार्ड नहीं आ जाता तब तक सोशल मीडिया पर वेरिफिकेशन वाले नंबर को बदल दें। परेशान होकर अकाउंट बंद करने के लिए इंटरनेट पर दिए गए किसी नंबर पर अपनी डिटेल साझा न करें। हमेशा बैंक के आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर पर ही संपर्क करें।