झारखंड : शह-मात का खेल जारी, आजसू उम्मीदवार ने लोहरदगा से पर्चा दाखिल कर भाजपा को दी चुनौती

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आजसू ने पहले ही किया था 11 को लोहरदगा और 22 नवम्बर को चंदनकियारी से नामांकन का एलानपूर्व घोषणा के मुताबिक नीरू शांति भगत ने लोहरदगा से किया नामांकन



रांची, 11 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू ) में गठबंधन के आसान नहीं दिख रहे। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की दोनों पार्टियों में शह-मात का खेल जारी है। भाजपा ने अपनी पहली सूची में घोषित 52 उम्मीदवारों में लोहरदगा सीट से नाम जारी नहीं की थी, लेकिन आजसू ने भाजपा को चुनौती देते हुए पूर्व घोषणा के मुताबिक अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया।

गठबंधन में रोड़ा बन रही लोहरदगा विधानसभा सीट से सोमवार को आजसू पार्टी की नीरू शांति भगत ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। नीरू भगत पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी हैं। नामांकन के दौरान कमल भी मौजूद थे। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के सधनु भगत ने पार्टी से विद्रोह करते हुए भारतीय ट्राइबल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल किया है।

आजसू पार्टी इस विधानसभा चुनाव में पहले संगठन, फिर गठबंधन की रणनीति पर काम कर रही है। पहले चरण के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आजसू ने 11 नवंबर को लोहरदगा और 22 को चंदनकियारी से नामांकन पत्र दाखिल करने की घोषणा कर दी थी, जबकि भाजपा भी इन दोनों सीटों पर मजबूत दावेदार है। पिछले महीने 23 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत लोहरदगा से और झाविमो से भाजपा में आने के बाद मंत्री बने अमर बाउरी चंदनकियारी से संभावित प्रत्याशी हैं। एकदिन पहले 10 नवंबर की शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री अरुण सिंह ने दिल्ली में पार्टी के 52 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी, लेकिन उसमें लोहरदगा और चंदनकियारी से पार्टी प्रत्याशी के नाम नहीं थे।

भाजपा-आजसू गठबंधन पर दिल्ली दरबार में हुई दो-दो बार बात

पिछले विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर लड़ने वाली आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो भी अपने उम्मीदवारों की सूची के साथ दो-दो बार दिल्ली दरबार में भाजपा नेतृत्व के साथ अपनी पार्टी की गोटी बिछा चुके हैं, लेकिन परिणाम तक नहीं पहुंच पाये। भाजपा के बुलावे पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो 8 नवंबर की रात 8 बजे दिल्ली गये। उस दौरान उनकी मुलाकात भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से नहीं हो पायी थी। झारखंड विधानसभा चुनाव के भाजपा प्रभारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर से बात हुई थी। बातचीत में सुदेश ने ओपी माथुर के सामने अपनी मांग रख दी थी।

सूत्रों की मानें तो सुदेश ने पहले 26 उम्मीदवारों की सूची भाजपा को दी, लेकिन 17 से 19 सीटों पर अड़े हुए हैं, लेकिन भाजपा 12 सीट ही देने को राजी थी। इस पेशकश पर आजसू राजी नहीं था। इसके साथ ही लोहरदगा और चंदनकियारी सहित और कुछ सीटों पर पेंच फंस रहा था। इसके बाद 10 नवंबर की सुबह भी भाजपा के बुलावे पर सुदेश महतो दिल्ली गये थे। उनकी भाजपा अध्यक्ष अमित के साथ मुलाकात और बात भी हुई, लेकिन मामला पटरी पर नहीं आया। रांची लौटने पर सुदेश ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के स्टैंड से भाजपा अध्यक्ष को अवगत करा दिया है। अब फैसला भाजपा के हाथ में है।

कमल किशोर को सजा होने के बाद 2016 उपचुनाव भी लड़ी थीं नीरू
नीरू भगत आजसू पार्टी से दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2014 में लोहरदगा विधानसभा सीट से आजसू के कमल किशोर भगत ने चुनाव जीता था। इसके बाद झारखंड के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. केके सिन्हा के साथ मारपीट मामले में अदालत ने उन्हें दो साल से अधिक की सजा सुनाई थी। सजा होने के बाद कमल किशोर का विधायक पद छिन गया था। फिर 2016 में हुए उपचुनाव में आजसू ने कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू भगत को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे सुखदेव भगत ने उन्हें हरा दिया था।

 


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