इंदौर, 10 नवम्बर (हि.स.)। खुद को सीबीआई बताकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले दो शातिर जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित अब तक अनेक लोगों को चपत लगा चुके हैं। पकड़ाए आरोपितों से पुलिस कड़ी पूछताछ कर रही है।
एसपी मुख्यालय सूरज वर्मा ने रविवार को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि मुखबिर की से सूचना मिली थी कि विक्रम गोस्वामी तथा शाहुबुद्दीन नामक व्यक्ति लोगों को झांसे में लेकर उनसे मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। इस पर क्राइम ब्रांच की टीम ने शनिवार की रात सराफा पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई करते हुए विक्रम (44) पुत्र अधीर गोस्वामी को रतलाम कोठी इंदौर तथा शाहुबुद्दीन को 78 कोयला बाखल से गिरफ्तार किया। आरोपित विक्रम गोस्वामी ने पुलिस टीम को प्रांरभिक पूछताछ में बताया कि वह कक्षा 11वीं तक पढ़ा है लेकिन उसकी तकनीकी गैजेट्स पर अच्छी पकड़ है। वह ठगी करने से पूर्व दिल्ली मुंबई कोलकाता आदि शहरों में अस्थायी तौर पर अलग-अलग प्रकार के काम करता था, जिसमें एंटिक करेंसी की खरीदी बिक्री, फायर वर्क तथा फुटपाथ पर तौलियां बेचने आदि का काम शामिल है।
जाली परिचय पत्र तैयार किए
उसने बताया कि पैसों की लालच ने उसे ठगोरा बना दिया और योजनाबद्ध तरीके से लोगों को झांसे में लेकर करोड़ों रुपये की ठगी कर डाली। उसने खुद ही विभिन्न प्रकार की सील स्टांप, स्पेशल सीबीआई ऑफिसर के जाली परिचय पत्र तैयार किये थे। उसने कबूला कि उसके बेटे के स्कूल में एडमिशन के लिए लगने वाले दस्तावेजों में टीसी तथा तलाक के बाद दूसरी मां का नाम बेटे के जन्म प्रमाण पत्र पर दर्ज कराने के लिए फर्जी सील का प्रयोग किया था। इससे स्कूल प्रबंधन को फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर गुमराह किया।
साथी आरोपित ने भी दिया झांसा
दूसरा आरोपित 31 वर्षीय शाहबुद्दीन पुत्र मुजफ्फर मलिक ने बताया कि वह सराफा बाजार में सोना चांदी के आभूषणों पर पालिश व सौंदर्यीकरण का कार्य करता है। उसे विक्रम गोस्वामी ने सीबीआई में नौकरी करना तथा आरपी (चावल खींचने वाला सामान जो कॉपर का बना हुआ होता है) का काम करना बताया था। विक्रम ने शाहबुद्दीन को बताया था कि उसके द्वारा आरपी भारत सरकार को पूर्व में दी जा चुकी है जो कि बहुमूल्य वस्तु है। विक्रम ने शाहबुद्दीन को यह कहकर झांसे में लिया कि उसने सरकार को आरपी देते वक्त कई लोगों को ग्रुप में जुड़ा होना बताया था। इसलिए सरकार जब पैसा देगी तो वो कई लोगों को एक साथ शासकीय पैसा दिला सकता है, उसके बदले एक परिपत्र भरकर लोगों को जोडऩा है जिनसे पैसे लेकर बदले में उन्हें एक-एक करोड़ रुपये से वह सरकार से दिलवायेगा।
पुलिस वेरिफिकेशन का दिया आश्वासन
शाहबुद्दीन ने विक्रम के कहे अनुसार, अन्य लोगों को जोडऩा शुरू किया, जिनसे 27 हजार गवर्मेंन्ट लायसेन्स फीस तथा निवेश की राशि करोड़ों रुपये अलग-अलग लोगों से ली गई और आश्वासन दिया गया कि आपका पुलिस वेरिफिकेशन भी होगा। अगर कोई केस थाने में रजिस्टर्ड पाया जाता है तो फर्म से आपका नाम हटाया जा सकता है और फिर आपके पैसे वापस कर दिए जाएंगे । सभी बिन्दुओं पर सही जानकारी पाये जाने पर सभी खर्च व सरकार की फीस काटकर करीब 5 करोड़ का फायदा लोगों को करवाएगा। इसके पैसे एक नवंबर तक खाते में आ जाएंगे। पैसे नहीं आने पर लोगों ने पुलिस में शिकायत की थी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसने करीब पचास लाख रुपये तक की ठगी हुई है। पुलिस ने इसके पास से प्रिंटर और मुहर के साथ कई फर्जी कागजात बरामद किए हैं। पूछताछ के दौरान आरोपितों ने स्वीकार किया है कि कई दूसरे शहरों में भी इनलोगों ने ठगी की है।