भारतीय सशस्त्र बलों ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान से जीत का प्रतीक ‘विजय दिवस’ मनाया

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नई दिल्ली : भारतीय सशस्त्र बल सोमवार को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की निर्णायक जीत का प्रतीक ‘विजय दिवस’ मना रहे हैं। मुख्य समारोह सेना की पूर्वी कमान ने कोलकाता के फोर्ट विलियम में मनाया। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुखों ने 1971 के युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर उनके बलिदान को सलाम किया।

यह एक ऐसी जीत थी, जिसने भारत के सैन्य इतिहास को नया आकार देने के साथ ही नए राष्ट्र बांग्लादेश को जन्म दिया। केवल 13 दिनों में भारतीय सशस्त्र बलों ने रणनीतिक प्रतिभा और असाधारण बहादुरी से 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को पूरी तरह से परास्त करके अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण कराया। यह तिथि भारत की अपने मित्रों देशों के प्रति प्रतिबद्धता और अपने दुश्मनों के लिए एक दृढ़ चेतावनी के रूप में कार्य करती है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के उपलक्ष्य में आर्मी हाउस में विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित विजय दिवस स्वागत समारोह में भाग लिया। राष्ट्रपति ने वीर नारियों के साथ भी भावपूर्ण बातचीत की, जिसके दौरान उन्होंने राष्ट्र के लिए उनके बलिदान को सलाम किया।

विजय दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर हमारे वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी तथा पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज विजय दिवस के विशेष अवसर पर राष्ट्र भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करता है। उनके अटूट साहस और देशभक्ति ने सुनिश्चित किया कि हमारा देश सुरक्षित रहे। भारत उनके बलिदान और सेवा को कभी नहीं भूलेगा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। सीडीएस ने राष्ट्र के प्रति समर्पण, संकल्प और स्थायी प्रतिबद्धता के लिए सभी सेवारत कर्मियों, दिग्गजों और वीर नारियों को भी अपनी बधाई दी। इसके अलावा रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित कर 1971 के युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। वायु सेना ने 1971 के भारत-पाकिस्तान को याद करते हुए कहा कि यह युद्ध 16 दिसंबर 1971 को लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कराने के साथ समाप्त कराया, जिसने एक स्वतंत्र बांग्लादेश को जन्म दिया। यह ऐतिहासिक क्षण दिलाने में भारतीय वायु सेना ने 13 दिवसीय संघर्ष के दौरान त्वरित और निर्णायक परिणाम सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे ‘लाइटनिंग वॉर’ कहा जाता है।

युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना ने एक गहन और घातक हवाई अभियान चलाया, जिसमें पश्चिमी क्षेत्र में 2400 से अधिक आक्रामक मिशन और पूर्वी थिएटर में 2000 से अधिक उड़ानें भरी गईं। इन अभियानों ने दोनों क्षेत्रों में हवाई नियंत्रण सुनिश्चित किया, जिससे विरोधी की प्रभावी रूप से जवाबी हमला करने की क्षमता कम हो गई। पूर्व में रणनीतिक हमलों ने जमीनी बलों के लिए करीबी हवाई समर्थन के साथ मिलकर पाकिस्तानी रक्षा को ध्वस्त कर दिया, जिससे बांग्लादेश की त्वरित मुक्ति में मदद मिली। आसमान में भारतीय वायु सेना का दबदबा इतना प्रभावशाली था कि 1971 का युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास में दर्ज हुआ किया। इस अद्वितीय जीत को हासिल करने में वायु सेना की भूमिका आधुनिक युद्ध में हवाई श्रेष्ठता के महत्व का प्रमाण बनी हुई है।

वाइस नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने कहा कि इस विजय दिवस पर हम 1971 के युद्ध में बांग्लादेश को आजाद कराने और निर्णायक जीत हासिल करने के लिए उनके असाधारण साहस और रणनीतिक प्रतिभा के लिए भारतीय सशस्त्र बलों को सलाम करते हैं। सेना प्रमुख जनरल अनिल द्विवेदी ने कहा कि यह दिन 1971 के युद्ध में हमारे सशस्त्र बलों की शानदार जीत का प्रतीक है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष सुनीता द्विवेदी के साथ मिलकर 1971 के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित पेंटिंग को इसके सबसे उपयुक्त स्थान मानेकशॉ सेंटर में स्थापित किया, जिसका नाम 1971 के युद्ध के वास्तुकार और नायक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नाम पर रखा गया है। यह पेंटिंग भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक और सभी के लिए न्याय और मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।


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