प्रधानमंत्री ने 80 के दशक में गरुड़चट्टी में की गई साधना को किया याद
रुद्रप्रयाग, 05 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ धाम में अतीत की यादों में भी डूबे। उन्होंने अस्सी के दशक में गरुड़चट्टी में की गई साधना को याद किया। यह स्थान केदारनाथ धाम से ढाई किलोमीटर पहले है। तब वह रोज यहां से केदारनाथ धाम के लिए निकलते और बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाकर लौटने के बाद साधना में लीन हो जाते।
प्रधानमंत्री ने अस्सी के दशक में भी केदारनाथ धाम में साधना की थी। उनके तबके यहां मित्र बने कुछ लोग जीवित हैं। प्रधानमंत्री ने सबको याद किया। उन्होंने कहा कि वे उन सभी लोगों को जो आज उनके बीच नहीं हैं, उन्हें नमन करता हूं।
आपदा को भी किया याद: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आपदा के समय भी वे यहां पहुंचे थे। उस दौरान वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वे यहां आकर सबकुछ देख चुके थे। उस समय लोगों को लगा था कि क्या पुनः केदारनाथ धाम खड़ा हो पाएगा। मैं खुद को यहां आने से रोक नहीं पाया था। उस दर्द को देख रहा था, जो लोग यहां आते थे वो सोचते थे अब क्या केदारपुरी दोबारा से उठ खड़ी होगा, लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी, यह केदार आन, बान और शान के साथ खड़ा हेागा। यह विश्वास बाबा केदार के प्रति आस्था, शंकराचार्य की साधना और ऋषि-मुनियों की तपस्या से मिल रहा था। मेरे पास गुजरात के कच्छ में भूकंप के बाद कच्छ को खड़ा करने का अनुभव था। आज अपनी आंखों से सपने को साकार होता देखना, यह जीवन का संतोष है। सौभाग्य मानता हूं कि केदार बाबा की इन हवाओं ने मुझे कभी पाला था, उसकी सेवा करने का सौभाग्य मिला। इससे बड़ा जीवन का पुण्य और कुछ नहीं हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में बाबा की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया। प्रधानमंत्री ने आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का लोकार्पण भी किया। इसके अलावा कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।