उत्तराखंड में फ्री बिजली से सियासी करंट दौड़ाने की तैयारी

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कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में शामिल हो सकती है फ्री बिजली आप का प्रदेश में आधार नहीं, इसलिए मुद्दा लपकने में परेशानी



देहरादून, 27 फरवरी (हि.स.)। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बिजली की सियासत करते हुए उतरे तो इसमें हैरत नहीं होनी चाहिए। हल्द्वानी के कार्यक्रम में फ्री बिजली का ऐलान करने के बाद इस मुद्दे को पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किए जाने की संभावना प्रकट की जा रही है। कांग्रेस के ऐलान पर भाजपा के कान खडे़ हो गए हैं। उसके रणनीतिकार इसकी काट तलाशने में जुट गए हैं। आम आदमी पार्टी अपनी लाचारगी पर आंसू बहाने की स्थिति में है। वजह, उत्तराखंड में उसका जनाधार नहीं है। इसलिए दिल्ली की चुनावी सियासत में सफल रहे इस मुद्दे को वह उत्तराखंड में दमदारी से नहीं उठा पा रही है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उत्तराखंड की चुनावी सियासत को लेकर तमाम सारी बातें होने लगी हैं। पहाड़ में जनाधार न होने के बावजूद आप एक बार फिर से उत्तराखंड में हरकत में आने की कोशिश कर रही है। पार्टी को लगता है कि वह उत्तराखंड में दिल्ली दोहरा सकती है। हालांकि कांग्रेस ने आप से पहले बिजली के मुद्दे को लपकने के लिए कदम आगे बढ़ा दिया है। हल्द्वानी में कांग्रेस के कार्यक्रम में दिल्ली की तरह 200 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान कर दिया गया है। तीन साल पहले तक उत्तराखंड के सीएम रहे हरीश रावत तो बाकायदा यह भी बता रहे हैं कि उनके पास फ्री बिजली देने का फार्मूला है। उनसे सवाल किया जा सकता है कि उन्हें यह फार्मूला इतनी देर से क्यों सूझा है। हालांकि कांग्रेस के एक प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी का कहना है कि फ्री बिजली के मुद्दे को लेकर चुनाव में जाने का पूरी तरह से निर्णय हो गया है। यह मसला घोषणा पत्र में भी आएगा।
इधर, फ्री बिजली से सियासी करंट दौड़ाने की तैयारी पर भाजपा भी चौकन्नी हो गई है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास बिजली विभाग है, जो कि घाटे में चल रहे यूपीसीएल की बेहतरी के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। ऐसे में फ्री बिजली की सियासत आने वाले दिनो में और बढ़ी तो इसकी काट क्या होगी, इस पर मंथन शुरू हो गया है। वैसे, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का सिर्फ इतना कहना है कि प्रदेश में अपनी खोई जमीन पाने के लिए कांग्रेस लोगों से कोई भी वादा कर सकती है। मगर सत्ता में उसकी वापसी नहीं होगी।

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