निर्भयाकांड : मुकेश की याचिका पर फैसला सुरक्षित

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दया याचिका खारिज करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 को फैसला सुनाएगा



नई दिल्ली, 28 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के गुनाहगार मुकेश की दया याचिका खारिज करने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट इस पर कल यानि 29 जनवरी को फैसला सुनाएगा।

सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की वकील अंजना प्रकाश से पूछा कि आपको बहस करने के लिए कितना समय चाहिए। तब अंजना प्रकाश ने कहा कि हमें एक घंटा चाहिए। इस पर कोर्ट ने ऐतराज जताया। तब अंजना प्रकाश ने कहा कि आधे घंटे में बहस पूरी कर लेंगे। अंजना प्रकाश ने कहा कि संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक राष्ट्रपति को किसी दया याचिका पर विचार करते समय आपराधिक मामले के सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए। यहां तक कि दया याचिका खारिज होने से पहले ही काल कोठरी यानि अकेले जेल में रख दिया गया, ये जेल मैन्युअल के खिलाफ है।

अंजना प्रकाश ने कहा कि कोर्ट सारी मेरिट पर विचार कर चुका है। हम सिर्फ दया याचिका खारिज करने में विवेक के इस्तेमाल ना करने की बात पर ही विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुकेश का जेल में यौन उत्पीड़न हुआ। जेल में मुकेश को अक्षय के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। राम सिंह का भी यौन शोषण हुआ था। राम सिंह ने आत्महत्या नहीं की थी, उसकी हत्या की गई।

उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को मुकेश दया याचिका दाखिल करता है। 24 घंटों में ही दया याचिका का दिल्ली सरकार ने निपटारा कर सुझाव दिया कि मुकेश की दया याचिका को खारिज किया जाना चहिए। दिल्ली सरकार ने उप-राज्यपाल को फाइल भेज दी। 16 जनवरी की शाम को रात में गृह मंत्रालय राष्ट्रपति के पास दया याचिका खारिज करने का सुझाव देता है। 17 जनवरी को राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर देते हैं। अंजना प्रकाश ने तिहाड़ जेल प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मुकेश को क्युरेटिव याचिका खारिज होने से पहले ही एकांतवास में रखा गया था। सेल में उसे अकेला रखा जाता था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के बाद गृह मंत्रालय को सारे जजमेंट उनके सामने रखने होते हैं। इस केस में भी यही हुआ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही कहा है कि दया याचिका के निपटारे में देरी अमानवीय है इसे तुरंत होना चाहिए।

तुषार मेहता ने कहा कि दया याचिका दाखिल होते ही इसकी कार्रवाई शुरू की गई। 15 जनवरी को उप-राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी। 16 जनवरी को गृह मंत्रालय ने इसे राष्ट्रपति को भेजा। 17 जनवरी को दया याचिका खारिज कर दी गई, जो भी दस्तावेज नियमों के तहत जरूरी होते हैं वो राष्ट्रपति के सामने रखे गए। उन्होंने कहा कि किसी लड़की की आंतें बाहर निकाल देने वाले इस तरह की दलील देकर रहम की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने सभी तथ्यों को देखने के बाद फैसला लिया। अगर दोषी का जेल में शोषण हुआ भी तो उसके आधार पर फांसी से राहत नहीं मांग सकता है।

मुकेश की अर्जी में दया याचिका खारिज होने के फैसले को चुनौती दी गई है। साथ ही एक फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। पिछले 17 जनवरी को कोर्ट ने आदेश दिया था कि निर्भया के चारों दोषियों को एक फरवरी की सुबह छह बजे फांसी दी जाए। 20 जनवरी को पवन की घटना के वक्त नाबालिग होने का दावा खारिज कर दिया था। 25 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में दो दोषियों की याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि अब कोई निर्देश देने की जरूरत नहीं है। दोषियों की मांग पर तिहाड़ जेल प्रशासन ने वे सभी दस्तावेज मुहैया करा दिए हैं, जो मांगे गए थे। उनके मुताबिक, अब कोई दस्तावेज देना बाकी नहीं है। दोनों की याचिका में कहा गया था कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव पिटीशन दाखिल करने के लिए जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं।

 


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