स्वामी स्वरूपानंद की धर्म संसद का निर्णय, 21 फरवरी से होगा राममंदिर का निर्माण

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नई दिल्ली, 30 जनवरी (हि.स.)। राम मंदिर निर्माण को लेकर कुंभ में हो रही धर्म संसद ने बड़ा ऐलान कर दिया है। संसद में बुधवार को साधु-संतों ने फैसला किया कि 21 फरवरी से राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा। राम मंदिर निर्माण को लेकर संतों के इस नए फैसले से श्रीराम मंदिर आंदोलनकारियों ने जहां चैन की सांस ली है वहीं विरोधियों के खेमें में हड़कम्प मच गया है।
यह धर्म संसद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा बुलाई गई थी। तीन दिन तक चली संसद में बुधवार को ऐलान किया गया कि 21 फरवरी, 2019 को राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। आधारशिला रखने के लिए कुंभ से साधु-संत अयोध्या की ओर कूच करेंगे। मंदिर पर हो रही राजनीति से दुखी संतों ने कहा कि अब धैर्य का बांध टूट गया है। अब मंदिर निर्माण का जिम्मा साधु-संतों के कंधे पर होगा।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में मस्जिद नही मंदिर तोड़ा गया था। संतों का यह धर्मादेश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पढ़कर साधु-संतों में ताकत पैदा करने का काम किया। अब 21 फरवरी को संतों द्वारा सबसे पहले वहां नंदा, भद्रा, जया और पूर्णा शिलालेखों का शिलान्यास किया जाएगा। ऐसा संतो का आदेश है।
विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) भी 31 जनवरी और एक फरवरी को धर्म संसद करने वाली है। वीएचपी की धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी हिस्सा लेने वाले हैं। सरकार के कदम से वीएचपी थोड़ा सा नरम दिख रही है। हालांकि संतों का कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए अगर गोली भी खानी पड़ेगी और जेल जाना पड़ेगा तो वो इसके लिए तैयार हैं।


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