भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में दुनिया कहने लगी, सोया हाथी जाग गया: मोदी

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (हि.स.)। देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते चार साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के बारे में देश की जनता को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज पुरानी दुनिया भारत को उम्मीद की नजरों से देख रही है, लेकिन 2014 से पहले भारत को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था। आज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हम अच्छी रैंकिंग पर पहुंचे हैं| दुनिया में हर कोई आज भारत की रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म नीति की तारीफ कर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया कह रही है कि सोया हुआ हाथी अब जग चुका है और दौड़ने के लिए तैयार है। हमें जिन संस्थाओं में कभी जगह नहीं मिलती थी, आज हम उनके अहम सदस्य हैं। भारत अब अरबों डॉलर के निवेश का केंद्र बन गया है।
दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शुमार किए जाने वाला भारत वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में एक चमकीले देश के रूप में उभर कर सामने आया है। 2.8 लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर के आकार के साथ भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। भारत क्रय क्षमता समतुल्‍यता (पीपीपी) की दृष्टि से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 7.7 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। स्थिर कीमतों, मजबूत बाह्य क्षेत्र और नियंत्रित राजकोषीय स्थिति की बदौलत भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बुनियादी तत्‍व अत्‍यंत मजबूत हैं। कच्‍चे तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद महंगाई दर निर्धारित दायरे में ही है। सरकार राजकोषीय सुदृढ़ता के मार्ग पर चलने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध है। जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के प्रतिशत के रूप में सरकारी ऋण बोझ निरंतर कम होता जा रहा है।
देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपना भाषण दिया। इससे पहले पीएम मोदी राजघाट गए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी| प्रधानमंत्री ने करीब 82 मिनट लंबा भाषण दिया, जिसमें साल 2014 से अब तक देश में उनकी सरकार के द्वारा लाए बदलावों का जिक्र किया। बता दें कि साल 2019 के आम चुनाव के पहले लालकिले से ये प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का आखिरी भाषण था।


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