सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की ”पद्मावत” से सती प्रथा का प्रचार होने संबंधी याचिका

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नई दिल्ली, 23 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावत में सती प्रथा के महिमामंडन और उसके निर्माता-निर्देशक के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। उक्त याचिका सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने दायर की थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि क्या आपको लगता है कि इस फिल्म को देखकर कोई महिला सती हो जाएगी। क्या आप कहेंगे कि देवदास देखकर लोग शराबी बन गए। कोर्ट ने कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म को सर्टिफिकेट देता है। स्वामी अग्निवेश ने याचिका दायर कर कहा था कि पद्मावत फिल्म में जौहर का दृश्य सामाजिक बुराई को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले 22 फरवरी को याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्वामी अग्निवेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि फिल्म में जो डिस्क्लेमर दिखाया गया है, उसमें कहा गया है कि यह एक फिक्शन है। जो यह दर्शाता है कि सती प्रथा को जानबूझकर महिमामंडित करने की कोशिश नहीं की गई है। याचिका में फिल्म के प्रोड्यूसर संजय लीला भंसाली और अजीत अंधारे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की गई थी। केंद्र ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि सभी पक्षों पर विचार करने के बाद ही सेंसर बोर्ड ने इसे रिलीज करने की अनुमति दी थी। उल्लेखनीय है कि पद्मावत फिल्म 25 जनवरी को रिलीज हुई थी। उसके पहले और बाद में यह काफी विवादों में रही। इसकी रिलीज रुकवाने के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्य सरकारों की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था।


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