किसी के बारे में कुछ भी लिखने को स्वतंत्र नहीं- SC

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नई दिल्ली, 15 मार्च (हि.स.)। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की तरफ से दायर आपराधिक मानहानि का मुकदमा रद्द कराने के लिए द वायर के पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कोर्ट ने 12 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मीडिया किसी के बारे में कुछ भी लिखने को स्वतंत्र नहीं है। वायर और उनके पत्रकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एक पत्रकार ने केवल ये पूछा कि 18 लाख के टर्नओवर से किसी का टर्नओवर 80 करोड़ तक कैसे पहुंच गया। इस सवाल के पूछने पर उसे अभियोजन का सामना करना पड़े तो ये पत्रकारिता का अंत होगा । जय शाह की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने पत्रकारों को अभिव्यक्ति की आजादी का ये मतलब नहीं है कि उसे चुन चुनकर आंकड़े उद्धृत करने का लाइसेंस मिल गया है। इन आंकड़ों के जरिये वो उस व्यक्ति को टारगेट करने की कोशिश करता है क्योंकि वो एक खास राजनीतिक हस्ती से जुड़ा हुआ है। द वायर के पत्रकारों ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुजरात हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में द वायर और उसके पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा निरस्त करने की अर्जी खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि द वायर के संपादकों और उसके रिपोर्टर के खिलाफ प्रथम दृष्टया केस बनता है। द वायर में छपे लेख मानहानि के उद्देश्य से पूर्ण प्रतीत होते हैं।


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