स्टिंग ऑपरेशन से बंगाल सरकार की झूठ का खुलासा: रथयात्रा को लेकर दंगा की नहीं थी खुफिया रिपोर्ट

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कोलकाता  (हि.स.)। कोलकाता समेत राज्य भर की सभी 42 लोकसभा सीटों पर व्यापक जनसंपर्क अभियान के लिए प्रस्तावित रथ यात्रा को राज्य सरकार ने अनुमति देने से इंकार कर दिया था। कहा गया था कि जिला प्रशासन ने रथयात्रा को केंद्र कर संभावित सांप्रदायिक संघर्ष की खुफिया रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन से ममता सरकार की झूठ बेनकाब हो गई है। खुलासा हुआ है कि इस तरह की कोई खुफिया रिपोर्ट नहीं मिली थी, बल्कि राज्य सचिवालय के निर्देश पर इसे जबरदस्ती तैयार किया गया था। दरअसल, एक निजी चैनल के इस स्टिंग ऑपरेशन से पता चला है कि कई जिलों के जिला खुफिया विभाग ने सचिवालय के निर्देश पर इस तरह की रिपोर्ट तैयार की थी। रविवार को यह स्टिंग ऑपरेशन जारी किया गया है।
मीडिया समूह की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जब इस बारे में इंटेलिजेंस के अफसरों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि रिपोर्ट ऊपरी आदेश पर तैयार की गई थी।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने बंगाल में रथयात्रा निकालने की योजना बनाई थी। पार्टी सात दिसंबर 2018 को कूचबिहार में, नौ तारीख को दक्षिण 24 परगना में और 14 दिसंबर को बीरभूम में यात्रा निकालना चाहती थी। इसे लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने न्यायालय में हलफनामा देते हुए बताया कि राज्य सरकार के पास ऐसी खुफिया रिपोर्ट है कि भाजपा की रथ यात्रा को केंद्रित कर सांप्रदायिक दंगे हो सकते हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा और न्यायाधीश ने इस रिपोर्ट के आधार पर भाजपा की रथ यात्रा को अनुमति देने से मना कर दिया।
चैनल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इंटेलिजेंस विभाग के पास ऐसी कोई अहम जानकारी नहीं है, जिसके बलबूते वह रथयात्रा पर रोक का फैसला सही बता पाएगी। बांकुरा में इंटेलिजेंस वॉच के प्रभारी अफसर जेपी सिंह ने गुप्त कैमरे के सामने स्वीकार किया कि बांकुड़ा सहित हर जिले में तब रिपोर्ट बनी थी। यूनिट की रिपोर्ट ऊपर से आए आदेश पर तैयार हुई थी, जिसे बाद में आगे बढ़ाया गया। बकौल सिंह, “सब हवा-हवा में (इनपुट्स) है।”
पश्चिमी बर्दवान में स्पेशल ब्रांच के एसीपी बप्पादित्य घोष ने माना- हमारे पास कोई ठोस इंटेलिजेंस नहीं था। हालांकि, उन्होंने यह जरूर साफ किया कि उन पर राजनीतिक दबाव था। इसी तरह से हावड़ा देहात में इंटेलिजेंस अफसरों ने स्वीकार किया है कि रिपोर्ट पूर्व के रिकॉर्डों के आधार पर तैयार हुई थी। नए सिरे से किसी भी तरह की संभावित सांप्रदायिक हिंसा की कोई खुफिया रिपोर्ट उन्हें नहीं मिली थी। जबकि स्टिंग के आधार पर तृणमूल कांग्रेस के मदन मित्रा से पूछा गया तो उन्होंने फर्जी इंटेलिजेंस होने की बात की और इसे सिरे से नकार दिया। बोले- मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं।


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