सीनेट में एच1-बी वीजाधारकों के सात प्रतिशत कोटे में वृद्धि का प्रस्ताव

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वॉशिंगटन, 09 फरवरी (हि.स.)। अमेरिकी कांग्रेस में एच 1-बी अस्थायी वीजा को स्थायी निवासी के रूप में ग्रीन कार्ड के लिए निर्धारित सात से 15 प्रतिशत कोटा निर्धारित किए जाने संबंधी विधेयक पास हो जाता है, तो इसका लाभ भारत के लाखों आईटी पेशेवरों को मिल सकता है।
भारत से आए आईटी पेशेवरों को नेपाल अथवा पाकिस्तान की तुलना में एच 1-बी वीजा से ग्रीन कार्ड के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है। मौजूदा नियमों के अनुसार दुनिया के सभी देशों के एच 1-बी वीजा धारकों को एक सामान सात प्रतिशत कोटा के आधार पर ग्रीन कार्ड दिया जाता है। भारत से 2008 तक के एच-1बी वीजा धारकों को ग्रीन कार्ड नसीब हुए हैं। जैसे-जैसे भारत से एच-1बी धारकों की संख्या बढ़ती जा रही है, उतना अधिक समय ग्रीन कार्ड के लिए लग रहा है।
भारतीय मूल की राष्ट्रपति पद की संभावित डेमोक्रेटिक सिनेटर कमला हैरिस सहित तेरह सदस्यों ने गुरुवार को सीनेट में एच 1-बी अस्थाई वीजा धारकों के लिए ग्रीन कार्ड के मार्ग में आने वाली अड़चनों को दूर किए जाने संबंधी विधेयक प्रस्तुत किए हैं। कमला हैरिस ने कहा है कि हर साल दिए जाने वाले ग्रीन कार्ड की संख्या सात प्रतिशत कोटे को बढ़ाकर पंद्रह प्रतिशत किए जाने की जरूरत है। इसके लिए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ का आधार बनाया जाना चाहिए। कमला हैरिस ने ” फेयरनेस फॉर हाई सकिल्लड इमीग्रेशन एक्ट (एच आर -1044)” विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा है,” अमेरिका आव्रजन आधारित देश है। हमारी शक्ति का आधार ही विविधता में एकता है। इसके लिए आव्रजन नियमों में पक्षपात को दूर कर परिवारों को संगठित किया जा सकता है, ताकि हम उच्च शिक्षा प्राप्त आव्रजकों को अमेरिका में अवसर जुटाकर अपनी इकॉनमी को समृद्ध कर सकते हैं। इस विधेयक के समर्थन में सिलिकॉन वैली की प्रतिष्ठित कॉरपोरेट जगत के अलावा अमेरिकी वाणिज्य संगठनों ने भी साथ निभाने का वादा किया है। एच1-बी अस्थायी वीजा की तरह रोजगार आधारित आधारित एक लाख 40 हजार ग्रीन कार्ड हर साल दिए जाते हैं।


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