सासाराम में छठी लोकसभा चुनाव में पड़े सबसे ज्यादा वोट, 6.55 लाख मतदताओं ने 65 फीसदी किया था मतदान

0

तीन प्रत्याशी थे मैदान में, जगजीवन राम को मिली थी सफलता
सासाराम, 19 अप्रैल (हि.स.)। अब तक लोकसभा के कुल सोलह चुनाव हो चुके हैं। सतरहवीं की तैयारी चल रही है लेकिन इन सभी लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 1977 में हुए छठी लोकसभा के चुनाव में सासाराम क्षेत्र के मतदताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस चुनाव में सासाराम लोकसभा क्षेत्र में कुल 655030 मतदाता थे। इनमें से 64.98 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। यह रिकाॅर्ड आज भी कायम है। सबसे बड़ी बात यह है कि 1977 के चुनाव में कुल तीन ही प्रत्याशी मैदान मे थे। इस चुनाव में मतदाताओं ने जगजीवन राम पर अपना भरोसा जताया था। कांग्रेस उम्मीदवार को जनता ने नकार दिया था। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इंदिरा गांधी से 1975 में देश में आपातकाल लागू करने के फैसले से लोग नाराज थे। इस नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को अगले चुनाव मे भुगतना था। इसका असर सासाराम लोकसभा क्षेत्र में भी देखने को मिला।
1977 में हुए लोकसभा के चुनाव से पहले ही जगजीवन राम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। वह बीएलडी पार्टी में शामिल हो गए थे। चुनाव में जगजीवन राम का सीधा मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार मुंगेरी लाल से हुआ। मुंगेरी लाल चुनाव हार गए। मतदाताओं ने सबसे कम वोटिंग 1952 में हुए पहले आम चुनाव में की थी। इस चुनाव में कुल 697896 मतदाताओं में से मात्र 41.89 फीसदी मतदाता ही मतदान करने के लिए घर से निकले थे। तब सासाराम का वर्तमान लोकसभा क्षेत्र शाहाबाद दक्षिणी का हिस्सा था। एक बार फिर सतरहवीं लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। 19 मई को सासाराम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव होना है। देखना होगा कि इस बार के चुनाव में मतदाता 1977 के लोकसभा चुनाव के अपने रिकाॅर्ड को तोड़ पाते हैं या नहीं।
सासाराम संसदीय क्षेत्र से एक तरफ मीरा कुमार को अपने पिता की विरासत बचाने की चुनौती है तो छेदी पासवान को भी पूरी ताकत झोकनी होगी। सासाराम संसदीय क्षेत्र के मतदाता कुछ भी बोल नहीं पा रहे हैं। इसे लेकर प्रत्याशियों में बेचैनी बढ़ गयी है।
मतदाताओं में हुई ढ़ाई गुणा वृद्धि
पहले लोकसभा चुनाव से लेकर सोलहवीं लोकसभा तक मतदाताओं की संख्या में ढाई गुणा तक वृद्धि हो चुकी है। पहले लोकसभा चुनाव में शाहाबाद दक्षिणी में मतदाताओं की कुल संख्या 697896 थी जो सोलहवीं लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 1607747 हो गई। विश्लेषकों की मानें तो करीब 67 साल के लोकतांत्रिक चुनावों में मतदाताओं की संख्या तो तेजी से बढ़ी, लेकिन मतदान प्रतिशत में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हुआ। इसके पीछे मतदाता जागरूकता का अभाव कारण माना जा रहा है।
लोकसभा- कुल मतदाता- मतदान का प्रतिशत
1. 1952 – 697896- 41.89
2 .1957 – 741808- 47.50
3. 1962 – 416753-62 83
4. 1967- 535908- 54.33
5. 1971- 612265- 52.62
6. 1977- 655030- 64.98
7. 1980- 751039- 52.08
8. 1984- 826286- 52.73
9. 1989- 965857- 55.71
10.1991- 976765- 49.18
11. 1996- 1138941- 52.44
12. 1998- 1144160- 59.69
13. 1999-1144324- 57.87
14. 2004- 1291237- 53.98
15. 2009- 1402789- 42.70
16. 2014- 1607747- 56.00


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *