सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचानः मुखर्जी
नागपुर, 06 जून (हि.स.) । पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश के प्रति आस्था रखना ही देशभक्ति का अर्थ है। वे यहां भारत के बारे में बात करने आए हैं। देश और देशभक्ति समझाने आए हैं। सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान है। हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है। भारत के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। सबने कहा है कि हिन्दू एक उदार धर्म है। भारतीय राष्ट्रवाद में एक वैश्विक भावना है। डॉ. मुखर्जी गुरुवार को यहां रेशमबाग स्थित डॉ. केबी हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 25 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग ओटीसी-तृतीय वर्ष के समापन समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। मंच पर उनके साथ सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. भागवत ने कहा कि संघ सर्वसमाज के लिए है। हम सर्वसमाज को संगठित करना चाहते हैं। हमारे लिए कोई पराया नहीं है। यहां पक्ष-विपक्ष की चर्चा का भी कोई अर्थ नहीं है। डॉ. मुखर्जी आदरणीय व्यक्ति हैं। उनके यहां आने पर विवाद उचित नहीं है। मिल-जुलकर रहना हमारी संस्कृति है। डॉ. मुखर्जी जी को कैसे बुलाया और वो कैसे जा रहे हैं, ये चर्चा निरर्थक है। हर साल हम देश के सज्जनों को कार्यक्रम में आमंत्रित करते हैं। हमारे न्योते को डॉ. मुखर्जी ने दिल से स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय है। संघ केवल हिन्दू के लिए ही नहीं है, बल्कि सभी के लिए काम करता है। संघ डेमोक्रेटिक माइंड वाला संगठन है। संगठित समाज ही भाग्य परिवर्तन की पूंजी है। सबकी माता भारत माता हैं। सबके पूर्वज समान हैं। संगठन में शक्ति होती है।वर्ष 1925 में 17 लोगों के साथ डॉ. हेडगेवार ने संघ की शुरुआत की। कोई भी कार्य संपन्न होता है तो शक्ति के आधार पर होता है। अनियंत्रित शक्ति खतरे वाली बात है। इसलिए शक्ति को शील का नियंत्रण चाहिए। समाज की समस्याओं के हल के लिए मतभेद भूलाकर काम करना होगा। हम विविधता में एकता को लेकर चल रहे हैं। कार्यक्रम परिसर में डॉ. मुखर्जी ने डॉ. केबी हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक एमएस गोलवलकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व राष्ट्रपति कार्यक्रम में शामिल होने से करीब ढाई घंटे पहले संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का पुस्तैनी मकान देखने पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उनका डॉ. भागवत ने स्वागत किया। पूर्व राष्ट्रपति ने विजिटर्स बुक में लिखा, \”डॉ. केबी हेडगेवार मां भारती के महान सपूत थे। मैं यहां उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने आया हूं।\” डॉ. हेडगेवार का पुस्तैनी मकान नागपुर शहर के शुक्रवारी इलाके में है। इसी मकान में डॉ. हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना को लेकर पहली बैठक की थी। उल्लेखनीय है कि डॉ. मुखर्जी ने जब से संघ का आमंत्रण स्वीकार किया है, कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। पार्टी के कई नेता, मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने का विरोध कर रहे थे। पार्टी नेताओं ने उनसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। डॉ. मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी, पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम, जयराम रमेश, सीके जाफर शरीफ समेत 35 से ज्यादा पार्टी नेताओं ने मुखर्जी से संघ के कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की थी। इन नेताओं का कहना था प्रणब के कार्यक्रम में जाने से संघ की विचारधारा को बल मिलेगा। हालांकि मुखर्जी ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि वह इस मुद्दे पर जो भी बोलना होगा नागपुर में ही बोलेंगे। समापन समारोह में ये रहे उपस्थित समापन समारोह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते अर्धेंदु बोस, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री, अरविंद मिल्स के संजय लालभाई, मफतलाल इंडस्ट्रीज के विशाल मफतलाल, सीसीएल प्रोडक्ट्स के छल्ला राजेंद्र प्रसाद, फुटबॉल खिलाडी कल्याण चौबे और अमेरिका स्थित इनफिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक भारतीय मूल के राजीव मल्होत्रा भी मौजूद थे। इन सभी को संघ ने कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। इसके अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर, महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संजय जोशी, अभिनेता गजेंद्र चौहान समेत कई प्रमुख लोग मौजूद थे। डॉ. मुखर्जी का हुआ था जोरदार स्वागत कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बुधवार शाम को ही नागपुर पहुंच गए थे। नागपुर एयरपोर्ट पर पहुंचने पर उनका संघ के प्रमुख पदाधिकारियों ने जोरदार स्वागत किया था। स्वागत करने वालों में सह-सरकार्यवाह वी.भगैया भी शामिल थे। हालांकि एयरपोर्ट पर कांग्रेस के कार्यकर्ता नहीं दिखे। मुखर्जी नागपुर के राजभवन में ठहरे हैं। वह नागपुर एयरपोर्ट से शुक्रवार सुबह नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। क्या कहा था शर्मिष्ठा मुखर्जी ने संघ के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के संबोधन से एक दिन पहले उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पिता के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को अनुचित ठहराया था। शर्मिष्ठा ने कहा था कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा, लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी। संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है। शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही समझ जाएंगे कि भाजपा की गंदी चालबाजी कैसे काम करती है। क्या है ओटीसी संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष (ओटीसी-तृतीय वर्ष) संघ का सर्वोच्च सांगठनिक प्रशिक्षण है। यह हर साल नागपुर में आयोजित होता है। इसमें इस साल देशभर के 708 स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं। इनमें इंजीनियर, डॉक्टर, आईटी एक्सपर्ट, पत्रकार, किसान और विभिन्न वर्ग के युवा शामिल हैं। ओटीसी-तृतीय वर्ष के लिए ओटीसी-प्रथम और द्वितीय वर्ष अनिवार्य है। ये दोनों प्रशिक्षण प्रांत स्तर पर हर साल मई-जून में आयोजित किए जाते हैं। ओटीसी-प्रथम वर्ष के लिए प्राथमिक शिक्षा वर्ग (आईटीसी) अनिवार्य है, जो जिला स्तर पर आयोजित किया जाता है। यह प्रशिक्षण सात दिनों का होता है।