सहकारिता से सब कुछ संभव : संजय पाचपोर

0

समग्र सहकारिता का चिंतन करती है सहकार भारती

लखनऊ, 21 दिसम्बर (हि.स.)। सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर ने कहा कि लखनऊ में राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न होने से उत्तर प्रदेश में सहकारिता को नई संजीवनी प्राप्त होगी। समाज का उत्थान सहकारिता के बिना संभव नहीं हैै। सहकारिता से सब संभव है। इसलिए सहकार भारती समग्र सहकारिता का चिंतन करती है। उन्होंने बताया प्रत्येक तीन वर्ष में सहकार भारती का राष्ट्रीय अधिवेशन होता है। राष्ट्रीय अधिवेशन के आयोजन का दायित्व उत्तर प्रदेश को प्रथम बार मिला है।

प्रस्तुत है हिन्दुस्थान समाचार से सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर से बातचीत के अंश।

सहकार भारती का उद्देश्य क्या है ?

बिना संस्कार नहीं सहकार और बिना सहकार नहीं उद्धार के मूलमंत्र को आत्मसात करते हुए देश को समर्थ और स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य को लेकर सहकार भारती कार्य करती है। सहकारी आंदोलन के माध्यम से नगर, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में विशेष रूप से पिछड़े क्षेत्र के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु जो भी आवश्यक है वह काम सहकार भारती करती है।

सहकारिता का भविष्य क्या है ?

भारत में सहकारिता का भविष्य उज्ज्वल है और इस क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं। सहकारिता हमारी मिट्टी का संस्कार है। भारत के चिंतन में सहकारिता है। केंद्र सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से सहकार समितियों के लिए ऋण वितरण की प्रक्रिया को सहज और सरल किया है। सहकारी समितियों के प्रशिक्षण पर काफी जोर दिया जा रहा है।

सहकारिता का पुनरूत्थान कैसे संभव है ?

भारत की समृद्धि सहकारिता पर निर्भर है। इसलिए सहकारिता को समृद्ध बनाना होगा। सहकारिता में आर्थिक अनुशासन का पालन करना जरूरी है। सहकारिता की शुद्धि,वृद्धि और समृद्ध करने का काम सहकार भारती करेगी। इस क्षेत्र में जब समर्पित व संस्कारित कार्यकर्ता आयेंगे तभी सहकारिता का उत्थान होगा।

अन्य प्रदेशों में सहकारी संस्थाएं फायदे में और उत्तर प्रदेश में घाटे में क्यों हैं ?

पारदर्शी सदस्यता हो, पैसे का हिसाब—किताब ईमानदारी से हो और समिति के सदस्यों में परस्पर सहयोग की भावना हो तो सहकारी संस्थाएं फायदे में रहती हैं। इसलिए संस्कार आधारित सहकारिता की बात सहकार भारती करती है। बिना संस्कार नहीं सहकार हमारा उद्घोष है। सहकार भारती सहकारी संस्थाओं को स्वायत्त रखने और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। जहां संस्कारी और सेवाभावी लोग सहकारिता से जुड़े हैं वहां सहकारी समितियां फायदे में हैं। उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने के कारण सहकारिता आन्दोलन को नुकसान हुआ।

सहकारिता की दिशा क्या होनी चाहिए ?

सहकार भारती सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाला स्वयंसेवी संगठन है। ‘बिना संस्कार नहीं सहकार’ हमारी पहली प्राथमिकता है। सहकारिता आन्दोलन राजनीति से परे होना चाहिए और सहकारी समितियों में हमारी भूमिका ट्रस्टी के रूप में होनी चाहिए मालिक की नहीं। सहकार भारती की धारणा है कि समाज के निर्धन,दुर्बल,वंचित,पीड़ित,गरीब तथा असंगठित वर्गों का स्थाई आर्थिक विकास केवल सहकारिता के माध्यम से ही हो सकता है।

सहकार भारती की वर्तमान में कार्य स्थिति क्या है ?

सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को साकार करने के लिए सहकार भारती काम कर रही है। देश के 27 प्रदेश के 600 से ज्यादा जिलों में सहकार भारती के कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इस अधिवेशन में 3,000 से भी ज्यादा प्रतिनिधि आए हुए हैं। यह अपने आप में संगठन की मजबूती को दर्शाता है।

सहकार भारती की विशेष उपलब्ध्यिां क्या रही हैं ?

केन्द्र में पृथक सहकारिता मंत्रालय की मांग सबसे पहले सहकार भारती ने की थी। हमारी मांग को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार ने पृथक सहकारिता मंत्रालय का गठन कर अमित भाई शाह को उसका मंत्री बनाया है। सहकार भारती के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा सहकारी समितियों को लगने वाले आयकर की रेट में 33 प्रतिशत से 22 प्रतिशत तक की कटौती सहकार भारती के प्रयासों से हुई है।

सहकार भारती के कार्यकर्ताओं के लिए आपका कोई संदेश ?

सहकारिता के सपने को हम लोग पूरा करने वाले हैं। इसलिए सहकारिता का कार्य करते समय सहकार भारती के कार्यकर्ताओं के मन में संगठन के प्रति भाव, श्रद्धा व प्रतिज्ञा चाहिए। संगठन में अनुशासन भी आवश्यक है। अनुशासन नहीं रहेगा तो संगठनात्मक ढांचा ठीक से नहीं चल पायेगा। इसके अलावा सहकारी क्षेत्र का अध्ययन भी हमारे सभी कार्यकर्ताओं को करना चाहिए।


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *