सपा-बसपा गठबंधन से भाजपा को डर नहीं
नई दिल्ली, 19 अगस्त (हि.स.)। भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों को आगामी चुनावों में डर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के गठबंधन से नहीं है। डर है अपने भाजपा के ही समर्थकों ,कार्यकर्ताओं , नेताओं के नाराज होकर बैठ जाने का है।
सूत्रों का कहना है कि कई सर्वे रिपोर्ट में आया है कि भाजपा के प्रतिबद्ध समर्थकों का एक वर्ग अन्दर – अन्दर नाराज है। आगामी विधानसभा / लोक सभा चुनावों में मतदान के समय उनके चुप मारकर बैठ जाने की संभावना है। यह हुआ तो इसका असर नए बने समर्थकों पर भी पड़ेगा। इसके लिए कुछ उपक्रम भी किए गए, लेकिन वे कारगर नहीं हो रहे हैं। ऐसे में चिंता बढ़ती जा रही है। उ.प्र. के एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता अजीत का कहना है कि पहले से नाराज चल रहे अपने ऐसे कार्यकर्ताओं ,समर्थकों का गुस्सा , अ.जा.,अ.ज.जा. कानून मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए दलितों, आदिवासियों द्वारा किसी अन्य जाति- अगड़ी व ओबीसी के किसी व्यक्ति के विरुद्ध दलित उत्पीड़न का एफआईआर दर्ज कराते ही , बिना जांच के गिरफ्तारी वाला कानून फिर से संसद में बिल लाकर पास करा देने से और बढ़ गया है।
यह गुस्सा फूटेगा तो संभालना मुश्किल होगा। इससे भाजपा को बहुत हानि हो सकता है। बीएचयू के प्रबंध संकाय के डीन रहे प्रो.छोटेलाल का कहना है कि मोदी सरकार को बहुत से मामले में केवल तत्काल राजनीतिक फायदे के हिसाब से सरकारी फैसले लेने से बचना चाहिए। यदि किसी कारण ऐसे फैसले हो गए हों, तो उसमें सुधार कर लेना चाहिए। इसके लिए उनको अपनी ही पार्टी के पुरोधा अटल बिहारी वाजपेयी व उनकी सरकार के कामकाज के तरीके को देखना चाहिए। तब समाज में और पार्टी के समर्थकों में भाजपा व उसकी सरकार के प्रति लगाव व जुड़ाव बना रह सकता है। वरना अपने समर्थकों व जनता को मुंह फेरते देर नहीं लगती है।