संस्कृत भाषा में निर्णय पारित कर मण्डलायुक्त ने रचा इतिहास

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झांसी,07जनवरी(हि. स.)। मण्डलायुक्त, झांसी के न्यायालय में शुक्रवार को वर्षों बाद इतिहास लिखा गया। मंडलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने आज वीरांगना भूमि झांसी पर देववाणी संस्कृत भाषा में 02 निर्णय लिखकर जारी किये। राजस्व न्यायालय के इतिहास में संस्कृत भाषा में यह पहली बार हुआ जब किसी वाद का निर्णय संस्कृत भाषा में लिखा गया है। सरकारी कामकाज और न्यायालयों की भाषा उत्तर प्रदेश में हिन्दी के रूप में मान्य है परन्तु मण्डलायुक्त डाॅ.अजय शंकर पाण्डेय ने भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा में निर्णय पारित कर इतिहास रच दिया।
मण्डलायुक्त के न्यायालय में वाद संख्या-1296/ 2021 छक्कीलाल बनाम राजाराम आदि, अंतर्गत धारा-207 अधिनियम, उप्र राजस्व संहिता-2006 दिनांक 30-12-2021 में दर्ज हुआ। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उभयपक्षों को साक्ष्य व सुनवाई का समुचित अवसर देते हुए संस्कृत भाषा में दो पृष्ठ का निर्णय पारित किया गया। संस्कृत भाषा में पारित निर्णय में यह लिखा गया है-
‘‘अतः अपीलस्य (प्रत्यावेदनस्य) ग्राहयता स्तरे एवं अवर न्यायालयेन 20-10-2021 इति दिनांके निगर्तम् आदेशं निरस्तीकृत्य प्रकरणमिदम् एतेन निर्देशेन सह प्रतिप्रेषितम् क्रियते यद् अपीलकर्ता 29-01-2020 इति दिनांके प्रस्तुते रिस्टोरेशन प्रार्थना-पत्र विषये उभयोःपक्षयोः पुनः श्रवणाम् अवसरं विधाय गुणदोषयोश्च विचार्य एकमासाभ्यन्तरम् निस्तारणं करणीयम् वाद प्रतिवाद पत्रावली च कायार्लये सुरक्षिता करणीया।’’
उपरोक्त वाद में अपीलार्थी के अधिवक्ता देवराज सिंह कुशवाहा द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निर्णय के लिए मण्डलायुक्त डाॅ. अजय शंकर पाण्डेय को धन्यवाद दिया और उनके इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
इसी प्रकार मण्डलायुक्त के न्यायालय में शस्त्र लाइसेंस से सम्बन्धित वाद संख्या-1266/ 2021 रहीश प्रसाद यादव बनाम राज्य सरकार उ0प्र0 अंतर्गत धारा-18 भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 दिनांक 18-12-2021 में दर्ज हुआ। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उभयपक्षों को साक्ष्य व सुनवाई का समुचित अवसर देते हुए संस्कृत भाषा में दो पृष्ठ का निर्णय पारित किया गया। संस्कृत भाषा में पारित निर्णय में यह लिखा गया-
‘‘एतासु परिस्थितिषु अवर न्यायालयेन 06-9-2021 दिनांकेः निर्गते आदेशविषये प्रतिक्षेपाय (हस्तक्षेपाय) औचित्य भवित्येव। अतः अस्य प्रतिवेदनस्य (अपीलस्य) विलम्बतः प्रस्तुतिविषये ‘‘विलम्बं सम्मर्षयन्’’ अपीलस्य (प्रतिवेदनस्य) ग्राह्यतास्थितौः एव स्वीकृत्य झांसीस्थावर न्यायालयेन/जनपद मजिस्ट्रेट महोदयेन 06-9-2021 दिनांकः निर्गत: आदेशः निरस्तीक्रियते। अपीलकर्तु: रिवाल्वर शस्त्र सम्बन्धित मनुज्ञापत्रम्-‘‘7698’’ सम्प्रवर्तितं क्रियते। यदि आगामिनि समये कदापि शस्त्रानुज्ञाश्रयिजनस्य शस्त्रस्य दुरुपयोगे शस्त्रानुज्ञानबन्धविषये वा समुल्लंघमस्य परिस्थितिः समायाति तदा अवर न्यायालयात्, पुलिस विभागात् मजिस्ट्रेट महोदयात सारगर्भितां तथ्ययुक्तामाख्याम् (रिपोर्ट ) च सम्प्राप्य गुणावगुणविषये क्रियान्वयम् विधातुं सक्षमः स्वतन्त्राश्च भविष्यन्ति। शस़्त्रस्य अनुज्ञानुबन्धस्य निरन्तरम् निरीक्षणं-परीक्षणम् च भवेदितिनिर्देशयन अस्य आदेशस्य प्रतिकृतिः (प्रतिलिपिः)
अवरन्यायालयाय प्रत्यावर्तनीया। वादस्य आवश्यकी कार्यवाहीअपील पत्रावली (प्रतिवेदन पत्रावली) अभिलेखागारे सुरक्षिता भवितव्या/कारणीया।
उपरोक्त वाद में अपीलार्थी के अधिवक्ता हरीसिंह यादव एवं उत्तरदाता के अधिवक्ता राहुल शर्मा द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निर्णय के लिए मण्डलायुक्त डाॅ. अजय शंकर पाण्डेय को धन्यवाद दिया।
मण्डलायुक्त के न्यायालय में शस्त्र लाइसेंस सहित तमाम धाराओं के अंतर्गत मुकदमों की सुनवाई की जाती है। झांसी मण्डल का इतिहास बहुत पुराना है । इसलिए हिन्दी के अलावा ब्रिटिश काल में और उसके बाद इस समय तक अंग्रेजी भाषा में तो निर्णय पारित होने के साक्ष्य मिलते हैं परन्तु संस्कृत भाषा में निर्णय पारित होने का यह पहला दृष्टांत है।
गौरतलब है कि वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय में आचार्य पं. श्यामजी उपाध्याय लंबे अरसे से संस्कृत में ही वाद दाखिल करते, उस पर संस्कृत में ही बहस करते हैं और अनेक अवसरों पर , यहां तक कि वहां तैनात एक मुस्लिम न्यायाधीश ने भी अपना निर्णय संस्कृत में ही लिखा और सुनाया था। इसकी देश और दुनिया की मीिडया में काफी चर्चा हुई थी।
इससे पहले नहीं मिलता कोई दृष्टांत
अभिलेखागार में कायर्रत अभिलेखपाल दिलीप कुमार द्वारा बताया गया कि ब्रिटिश काल से झांसी कमिश्नरी सन् 1911 से चल रही है। अभिलेखीय आधार पर संस्कृत भाषा में पारित किये गये उपरोक्त दोनों निणर्य एक मात्र हैं। इसके पहले संस्कृत भाषा में निर्णय पारित करने का कोई दृष्टांत उपलब्ध नहीं है।
हिन्दी में भी रहेगा अनुवाद
मण्डलायुक्त के पेशकार प्रमोद तिवारी द्वारा बताया गया कि उपरोक्त दोनों निर्णय संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं। संस्कृत भाषा सभी की समझ में नहीं आयेगी। इसलिये मण्डलायुक्त डाॅ. पाण्डेय ने इसके साथ ही इसका अनुवाद हिन्दी में कराकर पत्रावली पर रखने हेतु निर्देशित किया है। संस्कृत भाषा में पारित किये गये निर्णय का हिन्दी में किया गया अनुवाद पत्रावली में अनुरक्षित रखा जाय, जो आदेश का अंग रहेगा।
देववाणी को बढ़ावा देने की पहल सराहनीय
संतोष सिंह चैहान, एडवोकेट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी द्वारा संस्कृत भाषा में जो निर्णय पारित किया गया है वह अपने आप में दुर्लभ है। इस आदेश का स्वागत करता हॅं। राजीव नायक, एडवोकेट ने कहा कि कमिश्नरी के इतिहास में आयुक्त द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निर्णय समाज में यह संदेश देंगे कि सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए आयुक्त द्वारा की गई पहल सराहनीय है। कमिनश्नरी, झांसी के अन्य अधिवक्तागण देवराज कुशवाहा, राजीव मिश्रा,ध्रुव अड़जरिया व आरपी मिश्रा आदि द्वारा इस निर्णय की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
रच दिया इतिहास
प्रदीप सक्सेना, जिला शासकीय अधिवक्ता, राजस्व,राहुल शर्मा, जिला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल), लखनलाल श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष, उमेश शर्मा, महासचिव डिवीजनल बार एसोसियेशन द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये उपरोक्त दोनों निर्णयों का अध्ययन कर यह कहा गया कि मण्डल झाॅसी के राजस्व न्यायालयों में इसके पहले किसी भी पीठासीन अधिकारी द्वारा देववाणी संस्कृत भाषा में निर्णय पारित नहीं किये गये थे। मण्डलायुक्त झांसी मण्डल, झांसी द्वारा हिन्दी के अतिरिक्त सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा में निर्णय पारित कर इतिहास रच दिया है।


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