संसद का मानसून सत्र होगा हंगामेपूर्ण, विपक्ष ने कसी कमर

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नई दिल्ली, 14 जुलाई (हि.स.)। संसद के बजट सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने के बाद इस चुनावी वर्ष में 18 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के भी हंगामेपूर्ण होने की प्रबल संभावना है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतिक तलवारों को धार देने में लगे हैं। विपक्ष ने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे संसद और खासकर किसानों के प्रति गंभीर रुख नहीं अपनाने का आरोप लगाया है। सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष देश के विकास और उसकी जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रति भ्रामक प्रचार कर सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रहा है।
18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलने वाले चुनावी वर्ष के अंतिम मानसून सत्र में सबसे बड़ा टकराव राज्यसभा में उप सभापति के चुनाव को लेकर होगा। विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने के प्रयास चल रहे हैं, जिसके तहत कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दल मिलकर इस मुद्दे को तूल देंगे, जो उनकी एकता पर रखने का एक बड़ा मौका होगा।
उल्लेखनीय है कि पीजे कुरियन राज्यसभा के उप सभापति गत एक जुलाई को रिटायर हो चुके हैं। इसी मानसून सत्र में ही नए उप सभापति का चुनाव होना है। इसके चुनाव में बीजेपी आरएसएस प्रमुख कारक होगा। सत्र के दौरान मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने का भी विधेयक लाया जा रहा है, जिसे पारित कराने के लिए सरकार ने विपक्ष से सहयोग मांगा है। इस विधेयक को पारित कराना ऐतिहासिक घटना होगी।
लोकसभा में 68 और राज्यसभा में 40 विधायक लंबित हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सभी राजनीतिक दल आगामी मानसून सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने में सकारात्मक भूमिका अदा करेंगे। मुस्लिम विवाह अधिकारों का संरक्षण 2017 के अलावा पिछड़ी जाति आयोग विधेयक भ्रष्टाचार पर रोक संशोधन विधेयक 2013 मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2017 संविधान 130वां संशोधन विधेयक 2017 को देश के व्यापक हित में पारित कराया जाना आवश्यक है।
छह महत्वपूर्ण सूचनाओं को भी देशहित में सत्र के दौरान विधायक के रूप में पारित किया जाना है। भगोड़ा आर्थिक अपराध की अधिसूचना 201,8 उच्च न्यायालय के आपराधिक कानून संशोधन अधिसूचना 2018, व्यापारी विभाग एवं व्यापारिक विभाग संशोधन विधेयक अधिसूचना 2018, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल सूचना 2018, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अधिसूचना 2018 और दीवालियापन एवं दीवालियापन कोड संशोधन अध्यादेश 2018।
गौरतलब है कि पिछला बजट सत्र पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ गया था। राज्यसभा में 8% और लोकसभा में 4% ही कामकाज हुआ था। सरकार ने और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन एवं राज्यसभा उप सभापति एम वेंकैया नायडू ने विपक्ष संसद के दोनों सदनों में लंबित सभी विधयकों तथा अन्य महत्वपूर्ण कामकाज निपटाने में पूर्ण सहयोग देने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सभी राजनीतिक दलों से संसद सुचारु और शांतिपूर्ण ढंग से चले, इसके लिए सहयोग लेने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह हर मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार हैं।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार, मुख्तार अब्बास नकवी और विजय गोयल भी उनके प्रयासों का अमलीजामा पहनाने में जुटे हैं। विजय गोयल ने तो पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा है। डॉ सिंह ने इसे एक अच्छी पहल बताया है। राज्यसभा में मानसून सत्र ऐतिहासिक व्यवस्था होने जा रही है, जब सदस्य संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी अपना संबोधन कर सकेंगे। राज्य सभा सचिवालय में पांच अन्य भाषाओं डोगरी, कश्मीरी, संथाली और सिंधी के लिए एकसाथ अनुवाद की व्यवस्था की है। सदन में असमिया, बंगला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और उर्दू में पहले से ही अनुवादक की व्यवस्था है। लोकसभा में मैथिली, मणिपुरी, मराठी और नेपाली भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था की जा रही है।
मानसून सत्र भी पिछले बजट सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा या नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन संसद के बाहर जंतर मंतर पर किसानों सहित विभिन्न संगठनों ने सरकार विरोधी प्रदर्शन करने की कमर कस ली है। इसके लिए पुलिस व्यवस्था की जा रही है।


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