वैचारिक युद्ध के खिलाफ जीत का एकमात्र रास्ता शिक्षा : मौलाना अरशद मदनी

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शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए औपचारिक रूप से छात्रवृत्ति की घोषणा
नई दिल्ली, 21 जनवरी (हि.स.)। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत मुख्यालय में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए औपचारिक रूप से छात्रवृत्ति की घोषणा की। अब छात्रवृत्ति की राशि पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है। चालू वित्त वर्ष की छात्रवृत्ति के लिए फ़ार्म जमा करने की अंतिम तिथि 14 फरवरी 2022 है। पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान विभिन्न कोर्सों में चुने गए 656 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी।
इस अवसर पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इन छात्रवृत्तियों की घोषणा करते हुए हमें अति प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि हमारे इस छोटे से प्रयास से बहुत से ऐसे योग्य और मेहनती बच्चों का भविष्य किसी हद तक संवर सकता है जिन्हें अपनी आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपनी शिक्षा को जारी रखने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पूरे देश में जिस तरह की धार्मिक और वैचारिक जंग अब शुरू हुई है, इसका मुक़ाबला किसी टेक्नोलॉजी से नहीं किया जा सकता बल्कि इस जंग में सफलता प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता यह है कि हम अपनी नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा से सुसज्जित करके इस योग्य बना दें कि वो अपने ज्ञान और चेतना के हथियार से इस वैचारिक जंग में विरोधियों को पराजय कर के सफलता की वह मंज़िलें प्राप्त कर लें।
उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद आने वाली तमाम सरकारों ने एक नीति के तहत मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र से बाहर कर दिया। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट इसकी गवाही देती है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में दलितों से भी पीछे हैं। मौलाना मदनी ने प्रश्न किया कि क्या यह स्वयं हो गया या मुसलमानों ने जानबूझ कर शिक्षा से अलग हो गए? ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि सत्ता में आने वाली सभी सरकारों ने हमें शैक्षिक पिछड़ेपन का शिकार बनाए रखा। उन्होंने शायद यह बात महसूस कर ली थी कि अगर मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े तो अपनी योग्यता और क्षमता से वह सभी अहम उच्च पदों पर आसीन हो जाएंगे। इसलिए सभी प्रकार के बहानों और बाधाओं द्वारा मुसलमानों को शिक्षा के राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग-थलग कर देने का प्रयास होता रहा।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब समय आगया है कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांध कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएं। हमें ऐसे स्कूलों और कॉलिजों की अति आवश्यकता है जिनमें दीनी माहौल में हमारे बच्चे उच्च आधुनिक शिक्षा किसी बाधा और भेदभाव के बिना प्राप्त कर सकें। उन्होंने क़ौम के प्रभावी लोगों से यह अपील भी की कि जिनको अल्लाह ने धन दिया है, वो अधिक से अधिक लड़के और लड़कियों के लिए ऐसे स्कूल-कॉलेज बनाएं जहां बच्चे दीनी माहौल में आसानी से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि जो पैसा वह अपनी राजनीति, निकाह और विवाह में बेधड़क ख़र्च करते हैं, वह अपना कर्तव्य समझते हुए बच्चे और बच्चीयों के लिए शिक्षण संस्थाएं स्थापित करें। मौलाना मदनी ने कहा कि हमें जिस तरह मुफ़्ती, आलिम, हाफिज़ की ज़रूरत है, उसी प्रकार से प्रोफेसर, डाक्टर और इंजीनियर आदि की भी जरूरत है।
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द 2012 से मैरिट के आधार पर चुने गए ग़रीब छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है। इसी स्कीम के अंतर्गत हर वर्ष इंजीनियरिंग, मेडिकल एजुकेशनल और जर्नलिज़्म से सम्बंधित या किसी भी टेक्निकल या प्रोफेशनल कोर्स में शिक्षा प्राप्त कर रहे आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। यह छात्रवृत्ति पिछले वर्ष के परीक्षा में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को दी जाती है। चालू वित्त वर्ष की छात्रवृत्ति के लिए फ़ार्म जमा करने की अंतिम तिथि 14 फरवरी 2022 है। पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान विभिन्न कोर्सों में चुने गए 656 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी। अहम बात यह है कि छात्रों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए अब छात्रवृत्ति की राशि पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है और आने वाले वर्षों में इस राशि में और वृद्धि किए जाने की योजना है।


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