विस चुनाव बाद उत्तराखंड में लागू होगी समान नागरिक संहिता: धामी

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देहरादून, 12 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा सरकार सत्ता में आते ही उत्तराखंड के आम आदमी के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता कानून लागू करने का प्रयास करेंगे। इसके लिए न्यायविदों, विद्वानों, विशिष्टजनों की एक समिति का गठन किया जाएगा, जो यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। यह यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी के लिए समान रूप से लागू होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने एक बयान में कहा कि शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही इस संबंध में कार्रवाई करेंगे। उत्तराखंड की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत की रक्षा के लिए भाजपा सरकार अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद एक समिति गठित करेगी और यूनिफॉर्म सिविल कोड की संरचना की जाएगी, जिससे सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता तैयार की जा सके। चाहे वह किसी धर्म में विश्वास रखने वाले हों, सबके लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समिति में सरकार सेवानिवृत्तों, समाज के प्रबुद्धजनों और अन्य विशिष्टजनों की एक कमेटी गठित करेगी जो उत्तराखंड के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का विषय तय करेगी। यह यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूर्ण करने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे संविधान की भावनाओं को मूर्त रूप मिलेगा। उन्होंने कहा कि ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 के दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की चर्चा करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने समय-समय पर इसे लागू करने पर जोर दिया है और कई बार तो नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेने पर गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिली है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर देश में उदाहरण प्रस्तुत किया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी। जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तीकरण को ताकत मिलेगी। साथ ही देवभूमि की असाधारण आध्यात्मिक, सांस्कृतिक को पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चुनाव से दो दिन पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वाला बयान मास्टर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है। समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो? समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायजाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।


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