विश्व को भारत का दिया हुआ अमूल्य वरदान है योग : राष्ट्रपति

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मुम्बई, 28 दिसम्बर (हि.स.) । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि योग भारत की ओर से समूचे विश्व को दिया हुआ एक अमूल्य वरदान है। इससे मनुष्य, समाज, देश और विश्व को जोड़ने का कार्य हो रहा है।
राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को मुम्बई के एमएमआरडीए मैदान में आयोजित ‘द योग इन्स्टीट्यूट’ नामक संस्था के शताब्दी महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में राष्ट्रपति कोविंद की पत्नी सविता कोविंद, राज्यपाल सी. विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री (आयुष) श्रीपाद नाईक, महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर, योगा इन्स्टिटयूट के संचालक डॉ. हंसाजी जयदेव समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि मुम्बई देश की आर्थिक राजधानी है। आज यहां मनुष्य जीवन से संबंधित सभी कला, संस्कृति, विज्ञान, अध्यात्म आदि के अध्ययन के साथ-साथ योग विद्या का भी अध्ययन प्रमुखता से हो रहा है। योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए कई महान व्यक्तियों ने अमूल्य योगदान दिया है। आज इस संस्था को 100 वर्ष पूरे हुए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई महापुरुषों ने काम किया है। इसमें में से एक नाम दादाभाई नौरोजी का है। यह वर्ष उनका जन्म शताब्दी वर्ष है। द योग इन्स्टिट्यूट के निर्माण के लिए दादाभाई नौरोजी का प्रमुख योगदान प्राप्त हुआ है। इसलिए उनके इस जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर एवं स्मरणार्थ हम इस कार्यक्रम के अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक अभिवादन करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि योग विद्या मतलब मानवता की साधना है। इस विद्या में सभी देशों को अपने साथ जोड़ने का सामर्थ्य है। इस विद्या को सिर्फ भारत तक ही सीमित न रखते हुए भारत के बाहर भी ले जाकर इसे व्यापक रूप दिया है। इस वर्ष योग साधना में किए गए उल्लेखनीय कार्यों पर कई युवक-युवतियों को पद्मश्री पुरस्कार भी प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा कि योग विद्या किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म की नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की कला है। देश की नई पीढ़ी को योग विद्या का ज्ञान मिले, इसके लिए कई राज्यों में योग विद्या को महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने योगा इन्स्टिट्यूट के संचालक हंसाजी जयदेव योगेंद्र के ‘योगा फ़ॉर ऑल’ किताब का विमोचन किया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध संतूर वादक राहुल शर्मा के वादन से हुई। कार्यक्रम में योग प्रशिक्षण संस्था के 100 वर्षों की परंपरा का सफर डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।


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