वायनाड के रंगमंच पर पूजा-पाठ के कुशल मंचन की हिम्मत नहीं जुटा पाये राहुल और प्रियंका, रोड शो में व्यस्त रहे दोनों भाई-बहन
4 अप्रैल (हि.स.) । केरल में वायनाड के रंगमंच पर पूजा-पाठ के कुशल मंचन की हिम्मत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा नहीं जुटा पाये। गुरुवार को दोनों भाई-बहन रोड शो में ही व्यस्त रहे।
हिन्दू रंगमंच पर पूजा-पाठ का कुशल मंचन करने वाले जनेउधारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा केरल के वायनाड में लोकसभा चुनाव का पर्चा दाखिल करने से पहले पूजा-अर्चना तो दूर मंदिरों की दहलीज तक भी नहीं पहुंचे। दोनों रोड शो करते रहे, लेकिन मंदिरों में भगवान से आशीर्वाद लेने जाने की हिम्मत तक नहीं कर पाये। इसकी वजह वायनाड (केरल) का मुस्लिम और क्रिश्चियन बहुल होना है। उन्हें भय है कि मुस्लिम और क्रिश्चियन मतदाता मंदिरों में जाने से नाराज हो जायेंगे। जबकि इससे पहले दोनों भाई-बहन मंदिर-मंदिर घूमते नजर आ रहे थे। जबकि उसी वायनाड में हिन्दुओं के 10 प्रसिद्ध मंदिर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नामांकन दाखिल करने से पहले थ्रिस्सीलेरय शिवा मंदिर, पुलियारमला जैन मंदिर, अनन्तनाथा स्वामी मंदिर, पुलपल्ली सीतादेवी मंदिर, थ्रिककेपत्ता शिवा मंदिर, बथेरी महागणपति मंदिर, वल्लियूरकावु भगवती मंदिर, अनाप्परा श्री मरियम्मन मंदिर, कुन्नाबेट्टा अय्यप्पन मंदिर, पनमाराम जैन मंदिर में से किसी एक में भी मत्था टेककर आशीर्वाद लेने की जरूरत नहीं महसूस की। जबकि इससे पहले दोनों भाई-बहन मीडिया की उपस्थिति में हिन्दू बहुल क्षेत्रों में जनेऊ धारण कर मंदिरों में पूजा-पाठ कर हिन्दूवादी होने का संदेश देते नजर आ रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बाबा केदारनाथ, तिरुपति बालाजी, पुष्कर, सोमनाथ, वाराणसी, अहमदाबाद, ग्वालियर, चित्रकुट सहित दर्जनों मंदिरों में चुनाव के समय पूजा करने जा चुके हैं। इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी व राहुल की बहन प्रियंका वाड्रा भी हिन्दू मतदाताओं को लुभाने के लिए, मां विंध्यवासिनी मंदिर, वाराणसी के बाबा काशी विश्वनाथ सहित कई मंदिरों में पूजा करने जा चुकी हैं। प्रियंका ने प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां विंद्यवासिनी के दरबार में नतमस्तक होने के बाद रजिस्टर में “जय माता दी” लिखना भी नहीं भूलीं। प्रियंका वाड्रा अयोध्या भी गईं, लेकिन रामलला का दर्शन नहीं किया। हां, हनुमान गढ़ी जरूर गईं और वहां पूजा करने के बाद रोड शो किया था। गंगा यात्रा के दौरान मां गंगा का पवित्र जल भी ग्रहण किया।
अब लोग कर रहे हैं बड़े सवाल
1. क्या हिंन्दुओं की संख्या कम होने की वजह से वायनाड में पर्चा दाखिल करने से पहले राहुल और प्रियंका ने मंदिरों में जाकर पूजा करने की जरूरत नहीं समझी?
2. क्या मंदिरों में आस्था जताने जाने पर वायनाड सहित दक्षिण भारत के मुस्लिम और क्रिश्चियन मतदाता नाराज हो जायेंगे और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा?
वायनाड में मतदाताओं की स्थिति…
मुस्लिम – 28.52 फीसदी
क्रिश्चियन- 21 प्रतिशत
हिन्दू – 49.48%मोदी और आरएसएस दक्षिण में संस्कृति और भाषाओं पर हमले कर रहे हैं : राहुल गांधी
वायनाड में नामांकन और रोड शो के बाद राहुल गांधी ने कहा, मैं यही संदेश देने आया हूं कि चाहे उत्तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो या पश्चिम, पूरा देश एक है। देश की संस्कृति पर हमले हो रहे हैं। दक्षिण भारत में एक भावना है कि मोदी और आरएसएस दक्षिण में संस्कृति और भाषाओं पर हमले कर रहे हैं। इसके साथ उन्होंने सीपीएम पर भी हमला बोला। कहा, मैं समझता हूं कि सीपीएम में मेरे भाई और बहन भी मेरे खिलाफ बोलेंगे और हमले करेंगे, लेकिन मैं कुछ नहीं बोलूंगा।
हिन्दू रंगमंच पर पूजा-पाठ का कुशल मंचन करने वाले जनेउधारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा केरल के वायनाड में लोकसभा चुनाव का पर्चा दाखिल करने से पहले पूजा-अर्चना तो दूर मंदिरों की दहलीज तक भी नहीं पहुंचे। दोनों रोड शो करते रहे, लेकिन मंदिरों में भगवान से आशीर्वाद लेने जाने की हिम्मत तक नहीं कर पाये। इसकी वजह वायनाड (केरल) का मुस्लिम और क्रिश्चियन बहुल होना है। उन्हें भय है कि मुस्लिम और क्रिश्चियन मतदाता मंदिरों में जाने से नाराज हो जायेंगे। जबकि इससे पहले दोनों भाई-बहन मंदिर-मंदिर घूमते नजर आ रहे थे। जबकि उसी वायनाड में हिन्दुओं के 10 प्रसिद्ध मंदिर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नामांकन दाखिल करने से पहले थ्रिस्सीलेरय शिवा मंदिर, पुलियारमला जैन मंदिर, अनन्तनाथा स्वामी मंदिर, पुलपल्ली सीतादेवी मंदिर, थ्रिककेपत्ता शिवा मंदिर, बथेरी महागणपति मंदिर, वल्लियूरकावु भगवती मंदिर, अनाप्परा श्री मरियम्मन मंदिर, कुन्नाबेट्टा अय्यप्पन मंदिर, पनमाराम जैन मंदिर में से किसी एक में भी मत्था टेककर आशीर्वाद लेने की जरूरत नहीं महसूस की। जबकि इससे पहले दोनों भाई-बहन मीडिया की उपस्थिति में हिन्दू बहुल क्षेत्रों में जनेऊ धारण कर मंदिरों में पूजा-पाठ कर हिन्दूवादी होने का संदेश देते नजर आ रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बाबा केदारनाथ, तिरुपति बालाजी, पुष्कर, सोमनाथ, वाराणसी, अहमदाबाद, ग्वालियर, चित्रकुट सहित दर्जनों मंदिरों में चुनाव के समय पूजा करने जा चुके हैं। इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी व राहुल की बहन प्रियंका वाड्रा भी हिन्दू मतदाताओं को लुभाने के लिए, मां विंध्यवासिनी मंदिर, वाराणसी के बाबा काशी विश्वनाथ सहित कई मंदिरों में पूजा करने जा चुकी हैं। प्रियंका ने प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां विंद्यवासिनी के दरबार में नतमस्तक होने के बाद रजिस्टर में “जय माता दी” लिखना भी नहीं भूलीं। प्रियंका वाड्रा अयोध्या भी गईं, लेकिन रामलला का दर्शन नहीं किया। हां, हनुमान गढ़ी जरूर गईं और वहां पूजा करने के बाद रोड शो किया था। गंगा यात्रा के दौरान मां गंगा का पवित्र जल भी ग्रहण किया।
अब लोग कर रहे हैं बड़े सवाल
1. क्या हिंन्दुओं की संख्या कम होने की वजह से वायनाड में पर्चा दाखिल करने से पहले राहुल और प्रियंका ने मंदिरों में जाकर पूजा करने की जरूरत नहीं समझी?
2. क्या मंदिरों में आस्था जताने जाने पर वायनाड सहित दक्षिण भारत के मुस्लिम और क्रिश्चियन मतदाता नाराज हो जायेंगे और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा?
वायनाड में मतदाताओं की स्थिति…
मुस्लिम – 28.52 फीसदी
क्रिश्चियन- 21 प्रतिशत
हिन्दू – 49.48%मोदी और आरएसएस दक्षिण में संस्कृति और भाषाओं पर हमले कर रहे हैं : राहुल गांधी
वायनाड में नामांकन और रोड शो के बाद राहुल गांधी ने कहा, मैं यही संदेश देने आया हूं कि चाहे उत्तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो या पश्चिम, पूरा देश एक है। देश की संस्कृति पर हमले हो रहे हैं। दक्षिण भारत में एक भावना है कि मोदी और आरएसएस दक्षिण में संस्कृति और भाषाओं पर हमले कर रहे हैं। इसके साथ उन्होंने सीपीएम पर भी हमला बोला। कहा, मैं समझता हूं कि सीपीएम में मेरे भाई और बहन भी मेरे खिलाफ बोलेंगे और हमले करेंगे, लेकिन मैं कुछ नहीं बोलूंगा।